Holistic Wellness: दवाओं से मुक्त दुनिया ! यकीनन यह संभव है…

Holistic Wellness: दवाओं के ब‍िना भी जीवन संभव है, एक संपूर्ण स्‍वस्‍थ जीवन के ल‍िए यह व‍िचार एक नई आशा जगाता है। इस व‍िषय पर विस्‍तार से जानते हैं प्रस‍िद्ध न्‍यूरोसर्जन डॉक्‍टर पंकज कुमार झा से।

Holistic Wellness: दशकों से बीमारियों को रोकने के लिए मैंने दशकों प्रयास क‍िए हैं। इसके लिए वैज्ञानिक और आध्यात्मिक सिद्धांतों के एकीकरण के लिए खुद को समर्पित किया है। एक ऐसी दृष्टि को जगाया है जहां स्वास्थ्य ही अस्तित्व की आधारशिला है। फिर भी, इस खोज में, एक संदेह बना रहता है। जैसे लोग कहते हैं “डॉक्टर साहब, क्या आप अपने पेशे को कमज़ोर नहीं कर रहे हैं? अगर लोग अब बीमार नहीं पड़ेंगे, तो अरबों डॉलर के स्वास्थ्य सेवा उद्योग का क्या होगा? क्या यह सब ध्वस्त नहीं हो जाएगा?”

हालांकि, यह संदेह उस गहन परिवर्तन को नज़रअंदाज कर देता है जो उस दुनिया में हमारा इंतजार कर रहा है जहां स्वास्थ्य सर्वोपरि है – एक ऐसी दुनिया जहां समृद्धि, रचनात्मकता और संतुष्टि प्रचुर मात्रा में है। प्रस‍िद्ध न्‍यूरोसर्जन डॉक्‍टर पंकज कुमार झा से विस्तार से जानते हैं कैसे ऐसी दुन‍िया में दवा की कोई जगह नहीं।

जब बना लेंं यह लक्ष्‍य

बेहतर व अच्‍छी सेहत के ल‍िए हमें स्वास्थ्य को अपने सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य के रूप में प्राथमिकता देना है। इस क्रम में हम पाएंगे क‍ि तब उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियां एक अभिशाप नहीं हैं बल्कि वे जीवनशैली में हमारे चुने हुए विकल्पों के माध्यम से जीत हासिल करने की चुनौतियांं भर हैं। ऐसा होता है तो इन बीमार‍ियों से उपजी जट‍िलताएं भी जाती रहती हैं और दवाइयों का अन‍िवार्य प्रयोग भी छूटता जाता है।

यहां डॉक्टरों की पारंपरिक भूमिका तकलीफों का इलाज करने से लेकर व्यक्तियों को सक्रिय रूप से अपने स्वास्थ्य की जिम्मेदारी लेने के लिए सशक्त बनाने तक होती है।

खुशहाली आती है तब

जब हम सेहत को सर्वोपर‍ि रखते हैं, इसे अपनी सर्वोच्‍च प्राथम‍िकता बना लें तो वह दुन‍िया बहुत अलग होगी। ऐसी दुनिया में, खुशहाली का प्रभाव स्वास्थ्य देखभाल से कहीं आगे तक फैला हुआ होगा। तब लोग जीवन शक्ति और आनंद को अपनाने की बात करने लगेंगे। जब ऐसा होगा तो वे स्‍वयं को कला और संस्कृति की ओर ले जाएंगे या स्‍वयं मुड़ेंगे। इसे एक पुनर्जागरण कहें तो गलत न होगा।

सुंदर वातावरण की मांग

आज हम देख सकते हैं कि जो उद्योग कभी बीमारी पर फलते-फूलते थे, उन्हें विकास के नए रास्ते मिल रहे हैं। संगीत, कला, नृत्य और खेल में संस्थानों और प्रशिक्षकों की मांग आसमान छू रही हैंं। ये गतिविधियां हर समुदाय में आम हो गई हैं। घर की सजावट, बढ़ईगीरी और ललित कलाएँ फलती-फूलती हैं क्योंकि व्यक्ति अपने वातावरण को सुंदर बनाने और अपने जीवन को समृद्ध बनाने की कोशिश करते हैं।

जीवन की गुणवत्‍ता में सुधार

इस नए प्रतिमान में डॉक्टरों की भूमिका में गहरा परिवर्तन आया है। शीघ्र निदान और निवारक देखभाल आदर्श बन गई है, जिससे पुरानी बीमारियों का बोझ कम हो गया है और जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार हुआ है। मरीज़ों के भारी बोझ की बाधाओं से मुक्त होकर, डॉक्टर अत्याधुनिक अनुसंधान में लगे हुए हैं, जिससे नए उपचार और थेरेपी सामने आ रही हैं।

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सर्वे भवन्‍तु सुखिनः का आह्वान

“सर्वे भवन्तु सुखिनः” का सार इस दृष्टि में गहराई से प्रतिबिंबित होता है – एक ऐसी दुनिया जहां हर प्राणी खुशी और कल्याण का अनुभव करता है। यह उस बात का आह्वान है, जो हमें सुंदर दुनि‍या न‍िर्माण के ल‍िए प्रेर‍ित करता है। यह एक ऐसी वास्तविकता के लिए प्रयास करने का आग्रह करता है जहां स्वास्थ्य, खुशी और समृद्धि सभी का जन्मसिद्ध अधिकार है।

अंत में, आइए हम अपने डर को दूर करें और अपनी एक स्वास्थ्य-केंद्रित जीवन के दृष्टिकोण को अपनाएं। सर्व कल्याण को प्राथमिकता देकर और रचनात्मकता को बढ़ावा देकर, हम मानवता की पूरी क्षमता को उजागर कर सकते हैं। इसके बाद तो दवा की बात दूर चली ही जाएगी क्‍योंक‍ि बीमारी स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र‍ित दुनिया में अपना पैर कहां जमा पाएगी। जब बीमारी नहीं तो दवा कैसी।

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