Ramcharit Manas Chaupai: ‘रामचरितमानस’ की रचना तुलसीदास के द्वारा किया गया था और यह हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है. रामचरितमानस में दी गई दोहे और चौपाइयां मानव जीवन को प्रेरणा देती है. यह पवित्र ग्रंथ जिंदगी में आने वाली सभी समस्याओं का हाल है. जो रामचरित्र मानस का रोजाना पाठ करते हैं भगवान श्री राम उनपर कृपा बरसाते हैं.
कहा जाता है कि रामचरितमानस के कुछ चौपाइयां पढ़ने से जिंदगी में आने वाली सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है. आज हम आचार्य आशीष राघव द्विवेदी जी से जानते हैं आपको उन चौपाइयों के बारे में जो आपकी जिंदगी की समस्याओं को दूर कर सकता है.
श्रीरामचरित मानस की चौपाई (Ramcharit Manas Chaupai)
हरि अनंत हरि कथा अनंता।
कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
रामचंद्र के चरित सुहाए।
कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥
तुलसीदास जी कहते हैं कि प्रभु श्री राम अर्थात ईश्वर अनंत है न उनका कोई आदि है और न ही अंत। किसी भी मनुष्य द्वारा भगवान श्री राम के सुंदर चरित्र को कोई व्यक्त नहीं किया जा सकता।
जा पर कृपा राम की होई ।
ता पर कृपा करहिं सब कोई ॥
जिनके कपट, दम्भ नहिं माया ।
तिनके हृदय बसहु रघुराया ॥
अर्थ है जिन पर प्रभु श्री राम की कृपा बरसती है, उस व्यक्ति को सांसारिक दुख छू भी नहीं सकते, क्योंकि उस व्यक्ति पर सभी की कृपा बनी ही रहती है। भगवान राम केवल उन्हीं लोगों के हृदय में वास करते हैं जिनके अंदर कपट, झूठ और माया नहीं होती।
‘तुलसी’ काया खेत है, मनसा भयो किसान।
पाप-पुन्य दोउ बीज हैं, बुवै सो लुनै निदान।।
इस दोहे में तुलसीदास जी कहते हैं कि मनुष्य का शरीर एक खेत की तरह है और मन इस खेत का किसान है। किसान जैसे बीज खेत में बोता है वैसा ही फल उसे मिलता है। ठीक इसी तरह कर्मों के अनुसार ही व्यक्ति को पाप या पुण्य का फल मिलता है।
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आवत हिय हरषै नहीं, नैनन नहीं सनेह।
‘तुलसी’ तहाँ न जाइए, कंचन बरसे मेह।।
इस दोहे में तुलसीदास जी बताते हैं कि कैसे व्यक्ति के घर कभी नहीं जाना चाहिए। तुलसीदास जी के अनुसार, जिस घर में जाने पर घर के लोग आपको देखकर प्रसन्न न हों और जिनकी आंखों में बिलकुल भी स्नेह न हो, ऐसे लोगों के घर कभी नहीं जाना चाहिए, चाहे वहां आपका कितना भी लाभ छिपा हो।
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