Ashadha Gupt Navratri 2024: गुप्त नवरात्रि के दौरान इस मंत्र का जरूर करें जाप, मां दुर्गा दूर करेगी सभी कष्ट 

Ashadha Gupt Navratri 2024: गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है और इस दौरान मां दुर्गा की पूजा की जाती है.इस दौरान मां दुर्गा की पूजा करने से दुख दर्द दूर हो जाते हैं.

Ashadha Gupt Navratri 2024: हिंदू धर्म में आषाढ़ का विशेष महत्व है और इस महीने में कई प्रमुख व्रत त्योहार मनाए जाते हैं। आषाढ़ में जगन्नाथ रथ यात्रा गुप्त नवरात्रि योगिनी एकादशी और कई तरह के प्रमुख त्योहार आते हैं। गुप्त नवरात्रि आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मनाई जाती है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।

कहा जाता है कि इस दौरान पूजा पाठ करने से जिंदगी में आने वाली सभी परेशानियां दूर हो जाती है और भक्तों की सभी मनोकामना मां दुर्गा पुरी करती है। गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है और यह नवरात्रि हर तरह के दुख दर्द दूर करते हैं।

मां दुर्गा के मंत्र (Ashadha Gupt Navratri 2024)

1. ह्रीं शिवायै नम:

ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:

ऐं श्रीं शक्तयै नम:

ऐं ह्री देव्यै नम:

ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:

क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:

क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:

श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:

ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:

2. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

3. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

Also Read:Dharm Visesh: हवन में आम की लकड़ी का ही क्यों किया जाता है इस्तेमाल, जानें इसका धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

4. दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:

स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।

दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या

सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽ‌र्द्रचित्ता॥

5. देव्या यया ततमिदं जग्दात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या ।

तामम्बिकामखिलदेव महर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ।।

6. नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे ।

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ।।

7. देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

8. शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।

घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च॥

9. शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे ।

सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते ॥

10. ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा

ऊँ ह्नीं स्त्रीं हुम फट

ऐ ह्नीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम:

ह्नीं भुवनेश्वरीयै ह्नीं नम:

ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा

श्रीं ह्नीं ऐं वज्र वैरोचानियै ह्नीं फट स्वाहा

ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:

ऊँ ह्नीं बगुलामुखी देव्यै ह्नीं ओम नम:

ह्मीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलम बुद्धिं विनाशय ह्मीं ॐ स्वाहा

ऊँ ह्नीं ऐ भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:

हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा:

तमाम खबरों के लिए हमें Facebook पर लाइक करें Google News TwitterKooapp और YouTube  पर फॉलो करें। Vidhan News पर विस्तार से पढ़ें ताजातरीन खबर।

- Advertisement -

Related articles

Share article

- Advertisement -

Latest articles