Maa Kali Puja: हिंदू धर्म में देवी कालरात्रि को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है। इनके स्मरण मात्र से ही जीवन के कई कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। हिंदू धर्म में प्रत्येक देवी-देवताओं के पूजन के लिए कुछ खास समय, तिथि, वार, त्यौहार, आदि निर्धारित किए गए हैं। इसी तरह माता काली के पूजन के लिए भी शास्त्रों में कुछ समय, तिथि, आदि निर्धारित किए गए हैं। तो आइए जानते हैं किस तिथि या समय पर माता काली की आराधना करने से वे प्रसन्न होकर भक्तों के कष्टों को तुरंत हर लेती हैं।
इस दिन करें माता काली की पूजा (Maa Kali Puja)
हफ्ते का प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी-देवताओं को समर्पित है। उसी प्रकार शुक्रवार का दिन माता काली की आराधना के लिए सबसे शुभ माना जाता है। कई पंडितों के अनुसार, माता काली की आराधना का सबसे उचित समय मध्य रात्रि होती है।
अमावस्या है बेहद खास
अमावस्या की तिथि पर माता काली की आराधना करने का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के ही दिन माता काली की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए इस दिन मध्य रात्रि में माता काली की आराधना से विशेष लाभ मिलते हैं।
इस त्यौहार पर होती है माता काली की पूजा
प्रत्येक वर्ष दीपावली की अमावस्या को देवी काली की विशेष रूप से पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार, इसी दिन माता काली प्रकट हुई थी। इस दिन माता काली की पूजा विशेष कर बंगाल में प्रचलित है। इस दिन देवी 64,000 योगिनियों के साथ प्रकट हुई थी। इस दिन की पूजा को महानिशा पूजा भी कहते हैं।
इस दिन मनाया जाता है मां काली का जन्मदिन
बंगाल में नरक चतुर्दशी या काली चौदस को देवी कालरात्रि के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन देवी की आराधना से जातक को विशेष लाभ मिलता है।
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