Author: JYOTI MISHRA Published Date: 29/07/2024
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शरीर में प्यूरिन के मेटाबोलिज्म के बाद जो वेस्ट प्रोडक्ट बनता है, उसे यूरिक एसिड कहते हैं। जब शरीर में इसकी मात्रा अधिक हो जाती है या फिर शरीर से ये पर्याप्त मात्रा में बाहर नहीं निकल पाते हैं, तो ये बढ़े हुए यूरिक एसिड क्रिस्टल के रूप में जोड़ों पर इकट्ठा होने लगते हैं, जिससे गाउट जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
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प्यूरीन या तो खानपान से शरीर के अंदर जाता है या फिर शरीर ही इसे बनाता है। पूरी तरह से प्यूरीन फ्री डाइट लेना संभव नहीं हो पाता है और शरीर में वैसे भी प्यूरिन खुद से भी बनता है, तो सवाल ये उठता है कि क्या ऐसे में गाउट से बच पाना संभव है?
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अगर आप भी इस सवाल का जवाब खोज रहे हैं, तो बता हैं कि इसका जवाब, हां है! गाउट से बचना बिल्कुल संभव है। हालांकि, कुछ गंभीर मामलों में दवाइयों की जरूरत तो जरूर पड़ती है, लेकिन इसमें सही न्यूट्रिशन युक्त खानपान का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है।
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ये फोलेट का बेहतरीन स्रोत होता है। कुछ शोध इस बात को साबित करते हैं कि फोलेट का सेवन करने से यूरिक एसिड की मात्रा कम होती है।
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विटामिन सी का बेहतरीन स्रोत अमरूद भी यूरिक एसिड को कम करने के लिए जाना जाता है। इसे डाइट में शामिल कर हाई यूरिक एसिड से बचा जा सकता है।
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हल्दी भारतीय खानपान में इस्तेमाल होने वाला एक लोकप्रिय मसाला है। एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर हल्दी बढ़े हुए यूरिक एसिड के लेवल से लड़ने के लिए शरीर को तैयार रहती है।
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ओमेगा थ्री फैटी एसिड युक्त फ्लैक्स सीड्स या अलसी के बीज भी बढ़े हुए यूरिक एसिड के लेवल को कम करते हैं।
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एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर अदरक में जिंजेरोल और शोगाओल नाम के एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट पाए जाते हैं, जो यूरिक एसिड के लेवल कम करने के लिए जाने जाते हैं।
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