Bharat Hydrogen Train: भारतीय रेलवे तेजी से अपने नेटवर्क का विस्तार कर रहा है। राजधानी, शताब्दी, तेजस जैसी ट्रेनों के बाद वंदे भारत एक्सप्रेस का भी क्रेज देखने को मिल रहा है। बुलेट ट्रेन के निर्माण का कार्य भी तेजी से चल रहा है, और अब वंदे भारत और बुलेट ट्रेन के बीच ‘हवा’ से चलने वाली ट्रेन का नया आयाम जुड़ने वाला है। भारतीय रेलवे अब देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन शुरू करने जा रहा है, जो अगले वर्ष, 2024-25 में दौड़ने के लिए तैयार हो सकती है। इस साल के अंत तक इसके ट्रायल की संभावना जताई जा रही है।
कब से चलेगी हाइड्रोजन ट्रेन?
देश में पहली हाइड्रोजन ट्रेन के लिए सुरक्षा ऑडिट के लिए जर्मनी की TUV-SUD को हायर किया गया है। उम्मीद की जा रही है कि दिसंबर 2024 में इसका ट्रायल रन शुरू किया जाएगा। यह ट्रेन उत्तर रेलवे जोन के तहत हरियाणा के जींद-सोनीपत सेक्शन पर चलने वाली है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य रेलवे को 2030 तक ‘नेट जीरो कार्बन एमिटर’ बनाने का है, जिसमें हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
हाइड्रोजन ट्रेन कैसे काम करती है?
हाइड्रोजन ट्रेन, हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स का उपयोग करती है, जो डीजल इंजन के बजाय काम करती हैं। यह ट्रेन हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को मिलाकर बिजली पैदा करती है, जिसे चलाने में उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, या अन्य हानिकारक प्रदूषकों का उत्सर्जन नहीं होता, जिससे प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
किन रूट पर चलेंगी हाइड्रोजन ट्रेन?
जींद-सोनीपत रूट के अलावा, हाइड्रोजन ट्रेनें दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरी माउंटेन रेलवे, कालका-शिमला रेलवे, माथेरान रेलवे, कांगड़ा घाटी, बिलमोरा-वाघई और मारवाड़-देवगढ़ मदारिया रूटों पर भी चल सकती हैं। यह ट्रेन 140 किमी/घंटे की रफ्तार से चलने में सक्षम है और एक बार में 1000 किमी की दूरी तय कर सकती है। हालांकि, शुरूआत में इसे छोटे रूट पर चलाने की योजना है, बाद में इसके विस्तार की योजना बनाई जा रही है।
हाइड्रोजन ट्रेन की लागत
हाइड्रोजन ट्रेनें डीजल से चलने वाली ट्रेनों की तुलना में काफी महंगी हैं। बावजूद इसके, इनके चलने से पर्यावरण को बेहतर बनाने और प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। हाइड्रोजन से चलने वाली ये ट्रेनें भारतीय रेलवे के लिए एक नई तकनीकी क्रांति साबित हो सकती हैं।