Scientist Discover: दक्षिणी ब्राजील में वैज्ञानिकों ने एक बेहद प्राचीन जीवाश्म की खोज की है, जो एक नई सरीसृप प्रजाति, गोंडवानाक्स पैराइसेंसिस (Gondwanax paraisensis) से संबंधित है। यह जीवाश्म लगभग 237 मिलियन वर्ष पुराना है, जो इसे अब तक पाए गए सबसे पुराने सरीसृप जीवाश्मों में से एक बनाता है। इस खोज से वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिल सकती है कि डायनासोर पहली बार कैसे अस्तित्व में आए।
गोंडवानाक्स पैराइसेंसिस आकार और विशेषताएं
गोंडवानाक्स पैराइसेंसिस एक छोटा, चार पैरों वाला सरीसृप था, जिसका आकार मोटे तौर पर एक छोटे कुत्ते के बराबर था। इसकी लंबाई लगभग 1 मीटर (39 इंच) और वजन 3 से 6 किलोग्राम (7 से 13 पाउंड) के बीच था। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सरीसृप ट्राइसिक काल के दौरान वर्तमान दक्षिणी ब्राजील में रहता था, जब पृथ्वी का तापमान बहुत अधिक था। यह जीव आश्चर्यजनक रूप से उस समय के पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा था, जिसमें कई अन्य महत्वपूर्ण जीव भी विकसित हो रहे थे।
डायनासोर से पहले का सरीसृप?
यह जीवाश्म विलुप्त सरीसृपों के समूह सिलेसोरिड्स से जुड़ा हुआ है। वैज्ञानिक अब भी इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि क्या सिलेसोरिड्स वास्तव में डायनासोर के पूर्वज थे या ये उनसे पहले की प्रजातियाँ थीं। गोंडवानाक्स पैराइसेंसिस पर किए गए अध्ययन से हमें यह समझने में मदद मिल सकती है कि किन विशेषताओं ने डायनासोर को इतना सफल सरीसृप बनाया।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
स्टडी का नेतृत्व करने वाले जीवाश्म विज्ञानी रोड्रिगो टेम्प म्यूलर ने कहा, “यह खोज हमें उन जानवरों के बारे में अधिक जानने में मदद करती है, जिनके कारण डायनासोर का उदय हुआ।” जीवाश्म ट्राइसिक काल की एक चट्टान की परत में पाया गया था, जो एक महत्वपूर्ण युग था जब स्तनधारी, मगरमच्छ, कछुए और मेंढक जैसे कई जीव पहली बार दिखाई दिए।
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अध्ययन के परिणाम
इस महत्वपूर्ण खोज से संबंधित जानकारी पिछले महीने Gondwana Research जर्नल में प्रकाशित हुई थी। यह शोध जीवाश्म विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और भविष्य में डायनासोर के उद्भव और उनके पूर्वजों की विशेषताओं को समझने में सहायक साबित हो सकता है।
यह खोज सरीसृपों के विकास और पृथ्वी के इतिहास में महत्वपूर्ण घटनाओं को उजागर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि गोंडवानाक्स पैराइसेंसिस जैसे जीवाश्मों का अध्ययन करने से न केवल डायनासोर के विकास को समझा जा सकेगा, बल्कि सरीसृपों के विकास का सम्पूर्ण इतिहास भी स्पष्ट होगा।
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