Recognition For Contribution: समाज में उल्‍लेखनीय योगदान के लिए डॉक्टर मधुलिका और डॉ. दीपिका को केंद्रीय मंत्री ने किया सम्मानित

Recognition For Contribution: होम्योपैथिक उपचार से जटिल बीमारियों को ठीक करने के लिए डॉक्टर मधुलिका शुक्ला और माइक्रोबायोलॉजी पर किताब लिखने के लिए डॉक्टर दीपिका शुक्ला को कैबिनेट मंत्री अनुप्रिया पटेल ने विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया है।

Recognition For Contribution: समाज में बहुत ही कम परिवार ऐसे होते हैं जिनके घर का हर सदस्य किसी न किसी विधा में एक्सपर्ट हो। न केवल उस विधा मे पारंगत हो बल्कि उसकी सहायता से वे समाज में अपना योगदान देते हों। यह सौभाग्य की बात है कि कानपुर शहर में एक ऐसा परिवार है जिनके घर का हर सदस्य अपनी विधा में महारथी है। वह परिवार है कानपुर की मशहूर होम्योपैथिक डॉक्टर मधुलिका शुक्ला (Dr. Madhulika Shukla) का। सबको विदित है कि डॉक्टर मधुलिका शुक्ला कानपुर की सबसे चर्चित प्रतिष्ठित सम्मानित डॉक्टर हैं जिन्होंने होम्योपैथिक उपचार से अद्भुत इलाज से बड़ी से बड़ी बीमारियों को जड़ से खत्म कर दिया है।

वहीं, मधुलिका शुक्‍ला की बहन प्रोफेसर डॉ. दीपिका शुक्ला (Dr. Deepika Shukla) महाराणा प्रताप डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। वह डेंगू विषय पर पीएचडी कर चुकीं हैं। राष्ट्रीय डेंगू दिवस पर ‘इंट्रोडक्शन ऑफ ए माइक्रोबायोलॉजी’ विषय पर अपनी पहली किताब लिखकर शिक्षा जगत में धाक जमाई है ।

योग्‍यता व प्रतिभा का सम्‍मान

एक रंगारंग कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) ने इन दोनों बहनों की प्रतिभा का सम्मान करते हुए विशेष अवार्ड देकर सम्मानित किया है। डॉक्टर मधुलिका शुक्ला को यह सम्मान उनके द्वारा बिना सर्जरी के किए गए अद्भुत इलाज के लिए मिला है। जो लोग पुरानी व जटिल बीमारी से जकड़े हुए थे, उनको डॉक्टर मधुलिका शुक्ला ने बिल्कुल ठीक कर दिया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उनके बड़े भाई इंडियन नेवी में सुप्रसिद्ध चिकित्सक हैं। जिन्होंने हार्ट सर्जरी जैसी कई बार सफल उपलब्धियां हासिल की हैं।

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परिवार के सहयोग से सफलता

अपनी उपलब्धि पर बेहद प्रसन्न डॉ. दीपिका शुक्ला और डॉक्टर मधुलिका शुक्ला ने विशेष बातचीत में बताया कि हमारी सफलता में मां का हाथ है, जिन्होंने हर कदम पर हमारा साथ दिया। साथ ही हमारे बड़े भाई ने भी हम दोनों का हर वक्त हौसला बढ़ाया, जिसकी बदौलत आज हमने यह उपलब्धि हासिल की है।

डॉक्टर दीपिका शुक्ला ने कहा कि परिवार के सपोर्ट से ही मैं अपनी किताब लिखने में कामयाब हो पाई हूं। मैं अपनी पीएचडी हेड और पीएचडी छात्रों का भी धन्यवाद देना चाहूंगी जिन्होंने इस सपने को साकार करने में साथ दिया।

सफलता के मंत्र

डॉक्‍टर दीपिका शुक्‍ला ने इस अवसर पर युवा लड़कियों को सफलता के मंत्र बताए। उन्‍होंने युवाओं खासतौर पर लड़कियों को सफलता के लिए महत्वपूर्ण सलाह दिए। उन्‍होंने कहा कि यदि अपना लक्ष्य निर्धारित करके मेहनत करेंगे तो सफलता सौ फीसदी मिलेगी। साथ ही दूसरों के कहने पर कभी भी अपनी योजना नहीं बनाएं। जो भी करें अपनी कार्य क्षमता और दक्षता के मुताबिक करें।

वहीं दूसरी ओर अब तक 13 प्रतिष्ठित पुरस्कार जीत चुकीं डॉक्टर मधुलिका ने जीवन में एक काबिल और प्रतिष्ठित डॉक्टर की कीमत क्या होती है, इसे समझाया। उन्‍हेांने कहा कि इसका अहसास तब होता है जब हम बीमार पड़ते हैं। उस वक्त दुनिया का कोई भी संसाधन इंसान के कष्ट को दूर करने में असमर्थ होता है। ऐसी विकट परिस्थिति में सिर्फ एक डॉक्टर के चिकित्सकीय परामर्श के साथ उनके द्वारा दी जाने वाली दवा और महत्वपूर्ण सलाह ही संजीवनी का काम करती है।

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सबकी सेवा का सौभाग्‍य

डाक्‍टर मधुलिका शुक्‍ला ने बताया कि हम सबको निरोगी बनाकर सुखमय जीवन देने वाले डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है। यह बात हजारों नहीं बल्कि लाखों बार सिद्ध भी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि कोई भी मरीज मुझसे निराश होकर न जाए। मुझे लगता है कि मुझ पर ईश्वर की असीम कृपा है। ऊपर वाले ने मुझे एक ऐसा हुनर दिया है जिसकी बदौलत मैं लोगों के शारीरिक कष्टों को दूर करने का माध्यम बनकर सबकी सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

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