Chhath Puja 2024: छठ पर्व का आयोजन पाम ओलपिंया (Palm Olympia) सोसायटी निवासियों हर्ष व उल्लास से मनाया। सोसायटी की छठ पूजा आयाेजन समिति ने इस महापर्व को पूरे हर्षोउल्लास व समर्पण भाव से आयोजित कराया। भगवान भास्कर और छठी मैया के आराधना के इस महापर्व की रौनक नहाय खाय से जो शुरू हुई वह आज जाकर संपन्न हुआ। सोसायटी वासियों में इसपर्व को लेकर गजब का उत्साह दिखा।
दीपावली के बाद सोसायटी में साफ सफाई और छठ पूजा की तैयारी में लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे थे। पूजा के लिए प्रसाद निर्माण के दौरान लोगों में खूब आस्था नजर आई। संध्या काल पर जितनी भीड़ दिखाई दी उससे अधिक भीड़ अगले दिन सुबह दिखी। तड़के ही लोग सोसायटी में छठ पूजा के लिए बने आयोजन स्थल पर पहुंच रहे थे। रंग बिरंगे परिधानों में सजे लोग छठ पर्व को पूरी तरह आस्था और भक्तिभाव में सराबोर भरे नजर आए। सूर्य देव को प्रात:कालीन अर्घ्य के बाद छठ पूजा समिति की ओर से बड़े स्तर पर प्रसाद वितरण का आयोजन किया गया।
व्रती महिलाएं बढ़ा रही थीं शोभा
छठी मैया की आराधना करने वाली व्रती महिलाओं की आस्था देखकर सोसायटी के सामान्य लोग जो इस व्रत को नहीं रखते वे भी इस पर्व को लेकर उत्साहित दिखे। व्रति महिलाएं मंजूषा झा, पल्लवी झा, पूनम तिवारी ललिता झा आदि आयोजन स्थल पर सभी आस्थावान लोगों को आशीष देकर इस महापर्व की शोभा बढ़ा रही थीं। बता दें कि पहले दिन कद्दू भात, नहाए खाए और खरना जैसी मान्यताओं को पूरा करते हुए व्रत करने वाली महिलाएं और पुरुष छठ के इस कठिन व्रत को रखते हैं।
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लोक पर्व की महिमा अपरंपार
बता दें कि इस पर्व की विशेषता व महिमा उन लोगों को भी रोमांचित और चकित करती है जो इस लोकपर्व से अधिक परिचित नहीं हैं। जैसे अस्ताचल यानी डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा। बता दें कि इस पर्व में पहले दिन अस्त होते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। मान्यता है कि डूबते हुए सूर्य देव अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ में होते हैं। इस समय उनको अर्घ्य देने से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान मिलता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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उत्थान पतन एक चक्र
दरअसल, सूरज का ढलना भी जीवन का चरण है। सूरज ढलने के बाद लोग काम पूरा करने के बाद घर लौटते हैं। यह काम पूरा कर फल पाने का समय होता है। इसी तरह यह चरण यह भी बताता है कि दिन के बाद शाम होती है रात आती है व एक नया सवेरा हमारी प्रतीक्षा में होता है। छठ जीवन के शाश्वत नियमों को स्मरण कराने का पर्व है जो निरंतर लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच रहा है। चाहे घर पर हों या अपने गांव घर से दूर जहां पर हैं वहीं इसे पूरी आस्था से मनाते हैं। पाम ओलंपिया में भी ऐसा ही नजारा दिखा।
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