अगर आप Employees’ Provident Fund (EPF) और Employees’ Pension Scheme (EPS) के तहत योगदान करते हैं, तो आपके लिए एक अहम जानकारी है। सरकार EPF के तहत वेतन सीमा को ₹15,000 से बढ़ाकर ₹21,000 करने पर विचार कर रही है। अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो EPF और EPS में यह तीसरी बार बढ़ोतरी होगी। इस बदलाव से कर्मचारियों के EPF और EPS योगदान के साथ-साथ उनके रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन में भी बढ़ोतरी हो सकती है।
अधिक कर्मचारियों को मिलेगा EPS का लाभ
वर्तमान में, यदि किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी ₹15,000 से अधिक है, तो वह EPS योजना का हिस्सा नहीं बन सकता। हालांकि, वह EPF में योगदान करता है। यदि EPF वेतन सीमा ₹21,000 तक बढ़ाई जाती है, तो वे कर्मचारी भी EPS में शामिल हो सकते हैं, जिनकी सैलरी ₹15,000 से अधिक है। इसका मतलब यह होगा कि अधिक कर्मचारी EPS के तहत पेंशन प्राप्त कर सकेंगे। EPF योगदान में कमी, EPS में वृद्धि
वेतन सीमा बढ़ने के साथ ही EPS योगदान में भी वृद्धि होगी। मौजूदा समय में, यदि किसी कर्मचारी का वेतन ₹15,000 तक है, तो EPS में 8.33% का योगदान ₹1,250 तक किया जाता है, और बाकी पैसा EPF में जमा होता है। लेकिन यदि वेतन सीमा ₹21,000 हो जाती है, तो EPS में योगदान ₹1,749 तक बढ़ जाएगा, जिससे EPF में जमा राशि थोड़ी कम हो जाएगी। उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी की सैलरी ₹25,000 है, तो उसका EPF में योगदान ₹1,251 होगा और EPS में ₹1,749 जाएगा
पेंशन में मिलेगा लाभ
इस वेतन सीमा बढ़ोतरी का सबसे बड़ा फायदा कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन में होगा। वर्तमान में, EPS पेंशन की गणना ₹15,000 तक की सैलरी पर आधारित होती है। लेकिन अगर वेतन सीमा ₹21,000 तक बढ़ाई जाती है, तो पेंशन की गणना ₹21,000 पर आधारित होगी। उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी का पेंशन योग्य सेवा काल 30 साल है और उसने ₹15,000 से अधिक की सैलरी प्राप्त की है, तो उसकी पेंशन ₹6,857 प्रति माह होगी। लेकिन यदि वेतन सीमा ₹21,000 तक बढ़ाई जाती है, तो उसे ₹9,600 प्रति माह पेंशन मिलेगी।
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