China Nuclear Aircraft: चीन अपने न्यूक्लियर-पावर एयरक्राफ्ट कैरियर को विकसित करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने एक न्यूक्लियर रिएक्टर का प्रोटोटाइप तैयार किया है, जिसे बड़े युद्धपोतों के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह कदम चीन की नौसेना की ताकत को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण है और उसे समुद्र में लंबी दूरी की तैनाती करने की क्षमता देगा।
न्यूक्लियर एयरक्राफ्ट कैरियर के फायदे
न्यूक्लियर-पावर एयरक्राफ्ट कैरियर पारंपरिक युद्धपोतों से काफी अधिक प्रभावी हो सकते हैं। इन कैरियरों को लगातार ईंधन की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे वे समुद्र में लंबे समय तक बिना रुकावट के रह सकते हैं। इसका अर्थ है कि चीन के एयरक्राफ्ट कैरियर अधिक रेंज तक उड़ान भर सकते हैं और अपने विमानों के लिए ज्यादा ईंधन और हथियार ले जाने में सक्षम होंगे। इससे चीन की समुद्र संबंधी सैन्य शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है
न्यूक्लियर रिएक्टर का प्रोटोटाइप चीन की नई उपलब्धि
चीन ने हाल ही में सिचुआन प्रांत में एक न्यूक्लियर रिएक्टर का प्रोटोटाइप विकसित किया है। यह रिएक्टर बड़े सतही युद्धपोतों के लिए डिजाइन किया गया है और इसे 701 इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित किया गया है, जो एयरक्राफ्ट कैरियर के विकास की देखरेख करता है। इस रिएक्टर के निर्माण में मिडलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज ने भी शोध किया है। यह कदम चीन की बढ़ती नौसैनिक ताकत को दर्शाता है।
चीन और अमेरिका का मुकाबला
वर्तमान में, अमेरिका के पास 11 और फ्रांस के पास 1 न्यूक्लियर-पावर एयरक्राफ्ट कैरियर हैं। चीन का लक्ष्य 2035 तक अपने बेड़े में छह एयरक्राफ्ट कैरियर शामिल करना है। चीन का यह प्रयास पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) नौसेना को ब्लू-वॉटर क्षमताओं से लैस करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
भारत के लिए बढ़ती चुनौती
चीन के न्यूक्लियर-पावर एयरक्राफ्ट कैरियर के निर्माण की खबर भारत के लिए एक चिंता का विषय बन गई है। भारत हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति से चिंतित है और LAC पर गश्त से जुड़े समझौते के बावजूद दोनों देशों के बीच तनाव जारी है। भारत के पास अभी तक एक भी न्यूक्लियर-पावर युद्धपोत नहीं है, जबकि चीन इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। हालांकि, भारत ने मई में घोषणा की थी कि वह अपने तीसरे विमानवाहक पोत का निर्माण शुरू करेगा, और वर्तमान में भारतीय नौसेना के पास INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत जैसे युद्धपोत हैं।
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