Bhanwal Mata Temple: इस मंदिर में लगता है ढाई प्याला शराब का भोग, माता का मुख देखना है वर्जित, खाली हाथ नहीं लौटता कोई भक्त

Bhanwal Mata Temple: राजस्थान के नागौर में स्थित मां भुवाल देवी का मंदिर चमत्कारी मंदिर है। यह माता को ढाई प्याले शराब का भोग लगाया जाता है। माता भक्तों से प्रसन्न होकर यह शराब ग्रहण करती है । स्थानीय लोगों के अनुसार यहां से कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटता।

Bhanwal Mata Temple:  देश में मां दुर्गा के कई चमत्कारी मंदिर है लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जहां फल और मिठाई का भोग नहीं लगता है बल्कि शराब का भोग लगता है। यह मंदिर राजस्थान के नागौर जिले में स्थित है और यहां भक्तों का भारी जमावड़ा लगता है। तो आईए जानते हैं इस मंदिर के बारे में विस्तार से…

माता को लगता है ढाई प्याला शराब का भोग ( Bhanwal Mata Temple )

राजस्थान के नागौर में मां भुवाल काली माता का मंदिर है और मान्यता है कि यहां माता ढाई प्याला शराब ग्रहण करती है। इस मंदिर का निर्माण डाकुओं के द्वारा कराया गया था और यहां दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

1380 में हुआ था मंदिर का निर्माण

शिलालेख से पता चलता है कि मंदिर का निर्माण विक्रम संवत् 1380 को हुआ था। मंदिर के चारों और देवी-देवताओं की सुंदर प्रतिमाएं व कारीगरी की गई है। मंदिर के ऊपरी भाग में गुप्त कक्ष बनाया गया था, जिसे गुफा भी कहा जाता है।

माता के 2 स्वरूपों की होती है पूजा

यहां माता काली और माता ब्राह्मणी दो स्वरूपों की पूजा होती है। माता ब्राह्मणी को मिठाई का भोग लगता है वही माता काली को शराब का भोग लगाया जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह बहुत चमत्कारी मंदिर है और आज तक यहां से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटा है।

डाकुओं ने करवाया था मंदिर का निर्माण

माना जाता है कि भुवाल माता एक खेजड़ी के पेड़ के नीचे पृथ्वी से स्वयं प्रकट हुई थीं। इस स्थान पर डाकुओं के एक दल को राजा की फौज ने घेर लिया था। मृत्यु को निकट देखकर उन्होंने मां को याद किया। मां ने अपनी शक्ति से डाकूओं को भेड़-बकरी के झुंड में बदल दिया। इस प्रकार डाकूओं के प्राण बच गए और उन्होंने मंदिर का निर्माण करवाया।

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देवी के मुख की ओर देखना है वर्जित

भक्त मंदिर में मदिरा लेकर आता है तो पुजारी उससे चांदी का ढाई प्याला भरता है। इसके बाद वह देवी के होठों तक प्याला लेकर जाता है। इस समय देवी के मुख की ओर देखना वर्जित होता है। माता अपने भक्त से प्रसन्न होकर तुरंत ही वह मदिरा स्वीकार कर लेती हैं। प्याले में एक बूंद भी बाकी नहीं रहती।

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अस्वीकरणइस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। Vidhannews यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं।

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