Premanand Ji Maharaj : मनुष्य की ये 10 आदतें जीवन को कर देती हैं बर्बाद, प्रेमानंद महाराज से जाने तरक्की का मूल मंत्र

Premanand Ji Maharaj : प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन के बहुत बड़े संत हैं। महाराज जी अक्सर लोगों को जीवन जीने का मूल मंत्र बताते हैं। हम आपको 10 ऐसी आदतों के बारे में बताएंगे जिसकी वजह से इंसान की जिंदगी बर्बाद हो जाती है...

Premanand Ji Maharaj : वृंदावन वाले प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि व्यक्ति को उन सभी बुरी आदतों का त्याग कर देना चाहिए। जिंदगी में लोगों से जाने-अनजाने ऐसे पाप हो जाते हैं, जिनका कोई प्रायश्चित नहीं होता है और यही पाप इंसान के लिए दुर्गति का कारण बन जाते हैं। महाराज जी के प्रवचन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और इन पर विचार करते हैं, उनकी बातों को आदर्श बना कर जीवन को सफल बनाते हैं, ऐसी ही कुछ बातें महाराज ने इंसान की बर्बादी के लिए बताई है, आइए जानते हैं..

त्याग दें ये आदतें ( Premanand Ji Maharaj )

1. धन का लालच

लालच इंसान को नष्ट कर देता है। लालच, छल, कपट करने वालों के जीवन में सुख ज्यादा दिन तक नहीं टिकता है। उसका सारा सुख-चैन खत्म हो जाता है।

2. खुद की तारीफ

अपने मुंह से खुद की प्रशंसा करने वालों लोगों की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है और उसके पुण्य भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए कभी ऐसा न करें।

3. सहायता न करना

यदि कोई मनुष्य, पक्षी, पशु, आपकी शरण में आता है तो आपको निश्चित ही उसकी रक्षा करनी चाहिए और आप अगर ऐसा नहीं करते हैं तो सारे पुण्य आपके नष्ट हो जाते हैं।

4. उत्साह में पाप

यदि कोई व्यक्ति उत्साहित या फिर प्रेरित होकर पाप कर रहा है तो ऐसे इंसान की दुर्गति होनी भी निश्चित लिखी गई है। ऐसे लोगों को ईश्वर कभी भी क्षमा नहीं करते हैं।

5. संभोग का चिंतन

पराई स्त्री के साथ मन में संभोग करने की भावना रखने वालों के सभी पुण्य का नाश हो जाता है, इसलिए ऐसी गलती कभी न करें।

6. मन में द्वेष

यदि इंसान को बहुत ज्यादा क्रोध आता है तो गुस्सा भी मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और यह विनाश का बड़ा कारण बनता है, इसलिए मन में द्वेष कभी भी ना आने दें, अपने को शान्त रखें।

7. दान देने से मुकरना

अगर आपन दान देने की बात कही है तो फिर कह कर उससे मुकर जाना या फिर दान देकर पश्चाताप करना..ऐसे इंसान के भी सभी पुण्य नष्ट हो जाते हैं। इसलिए दान देने की बात कही है तो उसको निभाओं।

8. स्वयं को श्रेष्ठ मानना

खुद को श्रेष्ठ और दूसरे को नीच कहने वाले लोगों की भी दुर्गति होती है इसलिए जो इंसान विषमता पर विजय प्राप्त करता है, वही भगवत प्राप्ति का अधिकारी है।

9. व्यर्थ में धन संचय

अपनी आय घरवालों की जरूरतों पर खर्च करें। जरूरतमंद लोगों की मदद करें। ऐसा धन व्यर्थ है, जो किसी के काम न आ सका।

10. दूसरों को क्षति

जो लोग स्त्री, बुजुर्ग, बच्चे, या फिर असहाय लोगों को नुकसान पहुंचातें हैं, ऐसे लोगों की दुर्गति भी निश्चित होती है। इसलिए इन गलतियां को करने से बचें।

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