Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना करते समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Chaitra Navratri: सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की जाती है। मां दुर्गा की पूजा करने से माता जीवन के सभी कष्ट को हर लेती है।

Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि जगत जननी मां दुर्गा को समर्पित होता है। हर साल चैत्र के महीने में चैत्र नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस दौरान भक्ति मां दुर्गा की पूजा करते हैं।

सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए भक्त 9 दिनों तक व्रत रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दौरान पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और माता जीवन में आने वाले सभी कष्ट को दूर कर देती है। लेकिन क्या आप जानते हैं की कलश स्थापना करते समय भक्त अनजाने में कई गलतियां कर बैठते हैं।आइये जानते है राघव ज्योतिष एवं वैदिक केंद्र के प्रमुख ज्योतिर्विद् आचार्य श्री आशीष राघव द्विवेदी जी से कलश स्थापन का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि…

चैत्र नवरात्रि में कब करें कलश की स्थापना? (Chaitra Navratri)

चैत्र नवरात्रि महापर्व 30 मार्च रविवार से रेवती नक्षत्र और एंद्र योग में शुभारंभ होगा। कलश स्थापना और ध्वजारोहण के साथ हिंदू नववर्ष उत्सव की शुरुआत होगी। बनारसी पंचांग के अनुसार, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:00 से दोपहर 2:00 बजे तक है।

सामग्री: कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और शृंगार पिटारी चाहिए।

पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में शैलपुत्री देवी की पूजा, तिलक, व्रत और विद्या प्राप्ति के लिए अनुष्ठान किए जाएंगे। चैत्र नवरात्रि का समापन 6 अप्रैल को महानवमी के साथ, 7 अप्रैल को विजयादशमी मनाई जाएगी। महाअष्टमी व्रत 5 अप्रैल, महानवमी 6 अप्रैल और विजयादशमी 7 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस वर्ष रविवार को नवरात्रि प्रारंभ होने के कारण मां दुर्गा हाथी पर विराजमान होकर आएंगी, जिससे यह वर्ष शुभ फलदायी रहेगा।

ना करें ये गलतियां

चैत्र नवरात्रि में आपको कुछ गलतियां करने से बचना चाहिए वरना मां दुर्गा रुष्ट हो जाएगी। इस दौरान आपको झूठ नहीं बोलना चाहिए साथ ही साथ सात्विक भोजन करना चाहिए। लहसुन प्याज के सेवन से दूर रहना चाहिए। बड़े बुजुर्गों का अपमान नहीं करना चाहिए।

बातों का रखें विशेष ध्यान 

स्थान की शुद्धि:जहाँ कलश स्थापित करना है, उस स्थान को अच्छी तरह साफ करें और गंगाजल छिड़कें।

अष्टदल बनाएं:चौकी पर हल्दी से अष्टदल बनाएं।

कलश में सामग्री:कलश में साफ जल, हल्दी, अक्षत, लौंग, सिक्का, इलायची, पान और फूल डालें।

कलश पर स्वास्तिक और मौली:कलश के ऊपर रोली से स्वास्तिक बनाएं और कलश पर मौली लपेटें।

कलश स्थापना:कलश को चौकी पर स्थापित करें।

नारियल:नारियल को खड़ा रखें, कलश के ऊपर रखें।

शुभ मुहूर्त:शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें।

सात्विक भोजन:नवरात्रि के दौरान सात्विक भोजन करें, प्याज और लहसुन का सेवन न करें।

नकारात्मकता से बचें:कटु वचन और नकारात्मकता से बचें।

ध्यान और जप:रोजाना माता की पूजा करें, जप और ध्यान करें।

दान-पुण्य:दान-पुण्य करें।

स्वच्छता:तन, मन और घर की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।

नए वस्त्र:कलश स्थापना से पहले स्नान ध्यान करके नए वस्त्र धारण करें।

मंत्र जाप:कलश स्थापित करते हुए मंत्रों का जाप करें।

 

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