UP Assembly Election 2027: यूपी में विधानसभा के चुनाव में भले ही अभी लगभग 2 साल का समय बचा हुआ है. लेकिन राजनीतिक पार्टियां अभी से तैयारियों में जुट गई है. हर पार्टी अपने-अपने तौर से जाति, समाज, विकास और भी अन्य मुद्दों के नाम पर लोगों को जोड़ना चाहती है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी को 2024 के लोक सभा चुनाव में 6 सीटों पर मिली जीत से पार्टी के कार्यकर्ता आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रहे हैं. वहीं पार्टी नए सिरे से संगठन विस्तार में लगी हुई है. इसी कड़ी में पार्टी ने अभी कुछ ही महीने पहले प्रदेश के लगभग जिलों के जिलाध्यक्षों को बदलकर पार्टी के पुराने नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है.
पंचायत चुनाव से पार्टी को आस
पार्टी ने बड़े स्तर पर राज्य के नेतृत्व से लेकर जिले के नेतृत्व में बड़ा फेरबदल किया है. ऐसा करने के पीछे पार्टी की मंशा है कि पार्टी उन कार्यकर्ताओं को मौका देना चाहती है, जो लंबे अरसे से पार्टी की विचारधारा के साथ जुड़े हुए हैं. पार्टी के उतार-चढ़ाव के दौर में भी उसके साथ हैं. इस बार के जिलाध्यक्षों की सूची में इसकी बानगी भी देखने को मिली थी. प्रदेश में 2026 के शुरुआत में पंचायत चुनाव है. पार्टी को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव के बाद लोगों का एक बार फिर कांग्रेस की ओर रुझान बढ़ रहा है. खासकर दलित और अल्पसंख्यकों का, जिन्हें लगता है कि BSP अब अपने मूल से हटकर बीजेपी के प्रोपेगेंडा का हिस्सा बन चुकी है. ऐसे में राहुल गांधी के संविधान वाले मुद्दे पर बड़ी संख्या में दलित वोटरों ने कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को लोकसभा चुनाव के दौरान वोट दिया था. इसको देखते हुए पार्टी आने वाले चुनावों में इनको साधना चाहती है. इसके लिए पार्टी रोडमैप तैयार कर रही है.
पंचायत चुनाव का नतीजा तय करेगा टिकट
पार्टी सूत्रों की मानें तो प्रदेश नेतृत्व की ओर से ये स्पष्ट कर दिया गया है कि पंचायत चुनाव में उन नेताओं की एक्टिविटी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जो विधान सभा चुनाव में टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. पार्टी नेतृ्त्व का मानना है कि जो दावेदार पंचायत चुनाव में अपने क्षेत्र में जिला पंचायत सदस्य, ब्लाक प्रमुख बनाने में कामयाब होगा. उसका टिकट कंफर्म होगा. पंचायत चुनाव से पहले पार्टी 100 दिन का एक विशेष ट्रेनिंग शुरू करने जा रही है जिसमें पदाधिकारियों को विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी. इसमें उनको बूथ मैनेजमेंट से लेकर चुनाव प्रचार करने का मंत्र दिया जाएगा.
पंचायत चुनाव में रहेगा गठबंधन?
कांग्रेस जिस तरीके से संगठन विस्तार पर जोर दे रही है और पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से आक्रामक तरीके से लगातार फैसले ले रही है. उससे एक चीज देखने का मिल रहा है कि पार्टी पंचायत चुनाव अपने बलबूते पर लड़ना चाहती है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने गाहे-बगाहे इस बात का जिक्र करते हुए भी नजर आए है कि पार्टी का कैडर अब इतना मजबूत हो गया कि कांग्रेस अपने बल पर चुनाव लड़ सकती है. खैर अब कांग्रेस के संगठन विस्तार और कार्यकर्ताओं के एक्टिव होने पर गठबंधन पर कितना असर पड़ेगा ये तो वक्त ही बताएगा. लेकिन कांग्रेस यूपी में इस वक्त डेवलपिंग पार्टी की भूमिका में नजर आ रही है. जो एक बार फिर खुद को खड़ा करने की जुगत में है.