Property Rights: आजकल अक्सर ऐसा देखा जाता है बच्चे माता-पिता की सेवा नहीं करते और उनकी प्रॉपर्टी हड़प लेते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बुजुर्ग माता-पिता के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है। अब बुजुर्ग माता-पिता से उनकी संपत्ति बच्चे नहीं हड़प सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2007 में बने कानून की व्याख्या करते हुए यह फैसला सुनाया है।
बुजुर्गों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला (Property Rights)
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस में कहा कि माता-पिता की सेवा नहीं करने वाले बच्चों को संपत्ति से बेदखल किया जा सकता है। ‘ मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ़ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट 2007’ में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जो बच्चे माता-पिता की सेवा नहीं करेंगे उनको प्रॉपर्टी में कोई अधिकार नहीं मिलेगा।
अगर बच्चे माता-पिता की प्रॉपर्टी ले लिए हैं और बाद में माता-पिता का सेवा करने से इनकार करते हैं तो माता-पिता उनसे अपनी संपत्ति वापस ले सकते हैं।
क्या कहता है कानून?
साल 2007 में बने कानून की धारा 23 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बुजुर्ग अगर अपनी संपत्ति किसी को देता है तो उसे बुजुर्ग की सेवा करनी होगी। अगर बुजुर्ग की सेवा करने से उनके बच्चे इनकार करते हैं तो उसे पर धोखाधड़ी का केस लगाया जाएगा और प्रॉपर्टी के अधिकार को रद्द घोषित कर दिया जाएगा।
छतरपुर से आया अनोखा मामला
मध्य प्रदेश के छतरपुर की रहने वाली उर्मिला दीक्षित ने 1968 में एक संपत्ति खरीदी। साल 2019 में उन्होंने अपने बेटे को गिफ्ट के रूप में यह प्रॉपर्टी दे दी। 2020 में उन्होंने छतरपुर के एक डिविजनल मजिस्ट्रेट को आवेदन देकर बताया कि उनके बेटे ने और अधिक संपत्ति पाने के लिए उन पर और उनके पति के ऊपर हमला किया। संपत्ति लेते समय बेटे ने उन्हें लिखित दिया था कि वह उनकी सेवा करेगा लेकिन बाद में सेवा करने से इनकार कर दिया। इसके बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में यह मामला पहुंचा। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा कि डिड में शर्त नहीं लिखा गया है इसलिए यह संपत्ति बेटे के पास रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने बदल दिया हाई कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने बुजुर्गों के हित में बनाए गए कानून को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का फैसला बदल दिया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि माता-पिता की सेवा नहीं करने वाले बच्चों को उनके संपत्ति में अधिकार नहीं दिया जाएगा।
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