Indian Railways new rule: भारतीय रेलवे लगातार यात्रियों की सुविधा के लिए नए-नए नियम और बदलाव लागू कर रही है। इसी कड़ी में अब रेलवे ने ट्रेन में लोअर (Lower) और मिडिल (Middle) बर्थ से जुड़े नियमों को लेकर महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अक्सर यात्रियों की शिकायत रहती थी कि उम्रदराज, दिव्यांग या महिला यात्रियों को टिकट बुक करते समय लोअर बर्थ नहीं मिल पाती। इस समस्या को देखते हुए रेलवे ने नियमों को और अधिक स्पष्ट और सख्त कर दिया है ताकि प्राथमिकता वाले यात्रियों को लोअर बर्थ मिल सके और किसी को असुविधा न हो।
क्या है रेलवे का नया नियम? (Indian Railways new rule)
रेल मंत्रालय के अनुसार, लोअर बर्थ की प्राथमिकता अब सीनियर सिटीज़न, गर्भवती महिलाएं और दिव्यांग यात्रियों को दी जाएगी। रेलवे ने अपने रिज़र्वेशन सिस्टम में बदलाव करते हुए यह सुनिश्चित किया है कि इन श्रेणियों के यात्रियों को टिकट बुकिंग के समय लोअर बर्थ अपने आप अलॉट हो जाए।
यदि टिकट बुकिंग के समय लोअर बर्थ पहले से फुल है, तो सिस्टम उन्हें अगली उपलब्ध सबसे नीचे की सीट (जैसे मिडिल बर्थ) देने की कोशिश करेगा ताकि सफर आरामदायक बना रहे।
सीनियर सिटीज़न के लिए विशेष व्यवस्था
रेलवे ने 60 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष यात्रियों और 45 वर्ष से अधिक उम्र की महिला यात्रियों के लिए लोअर बर्थ कोटा (Lower Berth Quota) लागू किया है। इस कोटा के तहत प्रत्येक कोच में कुछ सीटें केवल इन यात्रियों के लिए रिजर्व रहती हैं।
इसका मतलब है कि जब आप ऑनलाइन टिकट बुक करेंगे और आपकी उम्र उपरोक्त मानदंडों में आती है, तो सिस्टम आपको ऑटोमैटिक रूप से लोअर बर्थ अलॉट करने की कोशिश करेगा।
महिलाओं और दिव्यांग यात्रियों के लिए भी राहत
गर्भवती महिलाओं और विकलांग (Divyang) यात्रियों के लिए भी रेलवे ने लोअर बर्थ को अनिवार्य रूप से रिजर्व रखा है। इसके लिए यात्रियों को टिकट बुक करते समय अपनी श्रेणी का चयन करना होता है।
यदि ट्रेन में कोई महिला अकेले या अपने बच्चों के साथ सफर कर रही है, तो रेलवे कोशिश करता है कि उन्हें भी लोअर बर्थ या ऐसी सीट दी जाए जो सुरक्षित और आरामदायक हो।
रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लागू है सख्त नियम
रेलवे ने एक और अहम नियम लागू किया है। अगर किसी यात्री के पास मिडिल या अपर बर्थ है, तो वह रात 10 बजे से पहले मिडिल बर्थ नहीं गिरा सकता और सुबह 6 बजे के बाद ही उसे दोबारा उठाना होगा।
इस नियम का मकसद यह है कि नीचे बैठने वाले यात्रियों को दिन के समय बैठने की जगह मिल सके और रात में सबको सोने में दिक्कत न हो।
अक्सर यात्रियों के बीच इस बात पर विवाद होता था कि कौन कब सोएगा और कौन सीट गिराएगा, इसलिए रेलवे ने समय सीमा तय कर दी है।
रेलवे की सलाह यात्रियों के लिए
रेलवे ने यात्रियों से अपील की है कि वे सीट को लेकर झगड़ा न करें और नियमों का पालन करें। यदि किसी को लोअर बर्थ की आवश्यकता है, तो वह टिकट बुक करते समय “Lower Berth Quota” का चयन अवश्य करें।
इसके अलावा, यदि किसी बुजुर्ग या महिला यात्री को लोअर बर्थ की जरूरत है और उन्हें नहीं मिली, तो TTE से बात करके मदद मांगी जा सकती है। कई बार TTE अपनी विवेक से लोअर बर्थ अलॉट कर देते हैं अगर सीट खाली हो।
यात्रियों के लिए फायदा
इन नए नियमों से अब यात्रियों को लोअर बर्थ के लिए बार-बार अनुरोध या बहस नहीं करनी पड़ेगी। खासकर बुजुर्गों और दिव्यांग लोगों के लिए यह नियम काफी राहत देने वाला है। रेलवे का मानना है कि इससे न सिर्फ व्यवस्था सुधरेगी बल्कि यात्रा का अनुभव भी सुरक्षित और आरामदायक बनेगा।
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