Chhath Puja 2025: छठ पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख और पवित्र पर्व है, जिसे खासतौर पर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बड़े श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया की उपासना के लिए समर्पित होता है। चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में व्रती पूरी शुद्धता, नियम और संयम के साथ पूजा करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ चीजों के बिना यह त्यौहार अधूरा माना जाता है? आइए जानते हैं छठ पूजा की उन खास वस्तुओं और परंपराओं के बारे में जो इसकी आत्मा मानी जाती हैं।
1. सूप और दौरा (Chhath Puja 2025}
छठ पूजा की सबसे पहचानने योग्य वस्तु होती है सूप (बाँस से बनी टोकरी)। इसी में प्रसाद जैसे ठेकुआ, फल और नारियल रखकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बिना छठ पूजा अधूरी मानी जाती है।
2. ठेकुआ और अन्य प्रसाद
छठ पूजा का मुख्य प्रसाद है ठेकुआ, जो गेहूं के आटे, घी और गुड़ से बनाया जाता है। इसके अलावा चावल से बनी खीर, गुड़, फल और नारियल भी पूजा का आवश्यक हिस्सा हैं।
3. केले का बांस (बांस का डाल)
छठ पूजा में व्रती के घर में केले का डाल लगाना शुभ माना जाता है। इसे पूजा स्थल पर रखकर देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है।
4. सूर्य अर्घ्य का जल
सूर्य देव को अर्घ्य देना इस पर्व की सबसे महत्वपूर्ण क्रिया होती है। व्रती सुबह और शाम के समय सूर्यदेव को गंगाजल या साफ नदी के पानी से अर्घ्य देती हैं। यह छठ का सबसे पवित्र क्षण माना जाता है।
5. व्रत और शुद्धता
छठ पूजा में निर्जला व्रत रखा जाता है। व्रती पूरी निष्ठा से बिना जल ग्रहण किए भगवान सूर्य की उपासना करती हैं। पूरे घर में साफ-सफाई और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
6. व्रत गीत और पूजा स्थल
छठ पूजा के दौरान गाए जाने वाले पारंपरिक भोजपुरी छठ गीत माहौल को और भी भक्तिमय बना देते हैं। घाट या तालाब के किनारे बने पूजा स्थल को फूल, दीपक और केले के पत्तों से सजाया जाता है।
छठ पूजा सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि श्रद्धा, अनुशासन और शुद्धता का प्रतीक है। इन सभी वस्तुओं और परंपराओं के बिना यह त्योहार अधूरा माना जाता है। इस छठ पर आप भी इन चीजों को सही तरीके से शामिल करें और सूर्य देव से परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।

