New Labour Code: भारत में श्रम सुधारों का सबसे बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने आखिरकार चारों नए लेबर कोड देशभर में लागू कर दिए हैं। लंबे समय से चर्चा में रहा यह बदलाव अब आधिकारिक रूप से असर दिखाने लगा है। नए लेबर कोड पुराने 29 अलग-अलग श्रम कानूनों को खत्म कर एक एकीकृत, सरल और आधुनिक प्रणाली लेकर आए हैं, जिसका सीधा लाभ देश के करोड़ों कर्मचारियों, मजदूरों, और gig-workers को मिलने वाला है।
क्या है नया लेबर कोड? (New Labour Code)
केंद्र सरकार ने चार प्रमुख कोड लागू किए हैं—
वेज कोड
इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड
सोशल सिक्योरिटी कोड
ऑक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड (OSHWC)
इनका उद्देश्य देश के जटिल, पुराने और बिखरे हुए श्रम कानूनों को सरल बनाना है ताकि रोजगार, सुरक्षा और पारदर्शिता बेहतर हो सके।
कर्मचारियों और मजदूरों को मिलेगा सीधा फायदा
1. हर कर्मचारी को अनिवार्य अपॉइंटमेंट लेटर
अब किसी भी कर्मचारी को बिना लिखित अपॉइंटमेंट लेटर के नौकरी पर नहीं रखा जा सकेगा। इससे वेतन, काम के घंटे और लाभ बिल्कुल पारदर्शी होंगे।
2. समय पर वेतन भुगतान अनिवार्य
अब वेतन में देरी करने पर कंपनी पर सख्त कार्रवाई होगी। समय पर सैलरी हर कर्मचारी का कानूनी अधिकार बन गया है।
3. बढ़ेगी सोशल सिक्योरिटी—Gig Workers भी शामिल
पहली बार देश में
स्विगी, जोमैटो, ओला, उबर जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर काम करने वाले फ्रीलांसर,कॉन्ट्रैक्ट और फिक्स-टर्म कर्मचारी को भी सोशल सिक्योरिटी, बीमा, पेंशन और PF जैसे लाभ मिलेंगे।यह भारत में गिग इकॉनमी को आधिकारिक सुरक्षा देने वाला ऐतिहासिक कदम है।
4. ओवरटाइम की नई व्यवस्था
48 घंटे के कार्यसप्ताह की सीमा तय की गई है। इससे अधिक काम करने पर डबल रेट से ओवरटाइम देना होगा।
5. महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट की अनुमति
महिलाएँ नाइट शिफ्ट में काम कर सकेंगी, लेकिन
- सुरक्षा,
- परिवहन,
- CCTV जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा।
6. 40+ कर्मचारियों के लिए मुफ्त हेल्थ चेकअप
- हर साल एक मुफ्त स्वास्थ्य जांच कंपनी को करानी ही होगी।
- कंपनियों के लिए भी आसान होंगी प्रक्रियाएँ
नए लेबर कोड कंपनियों के लिए भी राहत लेकर आए हैं।अलग-अलग दर्जनों फॉर्म की जगह सिंगल रिटर्न सिस्टम निरीक्षकों की जगह “फैसिलिटेटर सिस्टम”, जो मार्गदर्शन भी करेंगे।
डिजिटल रजिस्ट्रेशन व ई-कम्प्लायंस
इससे कारोबार करना आसान होगा और नए रोजगार बनने की उम्मीद बढ़ेगी।
क्या हैं चुनौतियाँ?
कुछ यूनियनों का कहना है कि नई प्रणाली में कंपनियों को “हायर-एंड-फायर” में लचीलापन मिलेगा, जिससे नौकरी की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है। कई राज्यों में लागू होने की गति भी अलग-अलग है, इसलिए जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन चुनौती हो सकता है।
देश में रोजगार, सुरक्षा और श्रम व्यवस्था में आएगा बड़ा बदलाव
नया लेबर कोड आने से कामकाज, वेतन, छुट्टियाँ, नौकरी की सुरक्षा और डिजिटल वर्क कल्चर का ढांचा बिल्कुल बदलने वाला है। यह सुधार भारत के श्रम बाजार को मॉडर्न, पारदर्शी और टेक-ड्रिवन बनाने की दिशा में सबसे अहम कदम माना जा रहा है।
तमाम खबरों के लिए हमें Facebook पर लाइक करें Google News, Twitter और YouTube पर फॉलो करें।Vidhan News पर विस्तार से पढ़ें ताजा–तरीन खबर।

