Messaging apps new policy: अब बिना मोबाइल नंबर नहीं चलेगा WhatsApp-Telegram! सरकार ला रही है नया डिजिटल कानून, बदल जाएगा सब कुछ

Messaging apps new policy: फर्जी अकाउंट, साइबर अपराध और डिजिटल धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए सरकार बना रही है कड़ा सिस्टम, सोशल मीडिया यूज़र्स पर पड़ेगा सीधा असर

Messaging apps new policy: देश में सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स के नियमों को लेकर आने वाले समय में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। सरकार डिजिटल सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए एक नया ढांचा तैयार कर रही है, जिसके तहत WhatsApp, Telegram और Snapchat जैसे प्लेटफॉर्म्स पर बिना प्रमाणित मोबाइल नंबर के अकाउंट चलाना मुश्किल हो सकता है।

सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार ऐसा सिस्टम लागू करने की तैयारी में है जिससे हर सोशल मीडिया अकाउंट किसी वैध मोबाइल नंबर से जुड़ा हो। इस प्रस्ताव का उद्देश्य फर्जी अकाउंट्स, साइबर फ्रॉड, स्कैम कॉल्स और डिजिटल ठगी पर रोक लगाना बताया जा रहा है।

क्यों बनाया जा रहा नया नियम? (Messaging apps new policy)

बीते कुछ वर्षों में सोशल मीडिया के जरिए फेक प्रोफाइल बनाकर ठगी, ब्लैकमेलिंग और फर्जी खबरें फैलाने के मामलों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। कई बार अपराधी बिना पहचान के अकाउंट बनाकर लोगों को गुमराह करते हैं, जिससे पुलिस और साइबर एजेंसियों के लिए आरोपियों तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।

इसी समस्या से निपटने के लिए सरकार एक ऐसी व्यवस्था लाने पर विचार कर रही है जिसमें:

  • हर अकाउंट एक वैध नंबर से जुड़ा होगा
  • फर्जी या अस्थायी नंबरों पर रोक लगेगी
  • संदिग्ध गतिविधियों पर सीधी निगरानी संभव होगी

 यूजर्स पर क्या पड़ेगा असर?

अगर यह नियम लागू होता है तो:

  • हर यूजर को रजिस्टर्ड और सक्रिय SIM से लॉगिन करना होगा
  • बिना नंबर के अकाउंट अपने आप बंद हो सकते हैं
  • एक व्यक्ति कई फर्जी अकाउंट नहीं चला पाएगा
  • नए अकाउंट बनाने के लिए OTP वेरिफिकेशन जरूरी होगा

सरकार की मंशा लोगों की निजता खत्म करना नहीं, बल्कि डिजिटल दुनिया में सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

कब से लागू हो सकता है नियम?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मसौदा अंतिम चरण में है और इसे लागू करने के लिए करीब 90 दिनों की समयसीमा तय की जा सकती है, ताकि कंपनियां अपने सिस्टम में जरूरी बदलाव कर सकें। इस दौरान यूजर्स को भी नंबर अपडेट करने और वेरिफिकेशन की सुविधा दी जाएगी।

प्राइवेसी पर क्या असर पड़ेगा?

इस प्रस्ताव पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इससे यूजर्स की निजता प्रभावित होगी? विशेषज्ञों का कहना है कि अगर डेटा सुरक्षा कानूनों का सख्ती से पालन किया गया तो यूजर्स की जानकारी सुरक्षित रह सकती है। साथ ही, सरकार कंपनियों पर डाटा लीक न होने की जिम्मेदारी भी तय कर सकती है।

सरकार का यह कदम डिजिटल अपराध रोकने की दिशा में बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। आने वाले समय में सोशल मीडिया इस्तेमाल करना पहले से ज्यादा सुरक्षित तो होगा, लेकिन प्रक्रिया थोड़ी सख्त जरूर हो सकती है। अब देखना होगा कि नियम कब और किस रूप में लागू होते हैं।

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