Kharmas marriage ban reasons: भारत में शादी-विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन और नामकरण जैसे मांगलिक कार्य पंचांग देखकर किए जाते हैं। लेकिन जैसे ही खरमास शुरू होता है, शादी की शहनाइयां अचानक थम सी जाती हैं। मैरिज हॉल खाली नजर आने लगते हैं और पंडित-पुजारी विवाह के मुहूर्त निकालने से मना कर देते हैं। ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर खरमास में ऐसा क्या खास होता है कि पूरे महीने कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता?
क्या है खरमास और कब लगता है? (Kharmas marriage ban reasons)
हिंदू पंचांग के अनुसार जब सूर्य धनु या मकर राशि में प्रवेश करता है, तब उस एक महीने की अवधि को खरमास कहा जाता है। यह समय धार्मिक दृष्टि से विशेष माना जाता है, लेकिन शुभ कार्यों के लिए इसे वर्जित अवधि माना गया है। इस दौरान विवाह, गृहप्रवेश, नई दुकान या नए व्यवसाय की शुरुआत जैसे काम रोक दिए जाते हैं।
धार्मिक मान्यताओं में क्या लिखा है?
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सूर्य देव को जीवन, ऊर्जा और शुभता का स्रोत माना गया है। मान्यता है कि खरमास के दौरान सूर्य की स्थिति कमजोर होती है, जिससे उसकी सकारात्मक ऊर्जा प्रभावित होती है। यही कारण है कि इस समय किए गए विवाह या मांगलिक कार्यों से वांछित फल नहीं मिलने की आशंका रहती है। इसलिए पूर्वजों ने इस अवधि को संयम और साधना के लिए उपयुक्त बताया है, न कि उत्सव और नए आरंभ के लिए।
ज्योतिष शास्त्र क्या कहता है?
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, सूर्य के इस विशेष संक्रमण काल में ग्रहों का संतुलन विवाह जैसे महत्वपूर्ण निर्णयों के अनुकूल नहीं होता। कुंडली में ग्रह दशाओं पर इसका असर पड़ता है, जिससे वैवाहिक जीवन में बाधाओं की आशंका बताई जाती है। इसी वजह से इस अवधि में शुभ मुहूर्त नहीं निकाले जाते और शादी की तारीखें आगे के महीनों में तय की जाती हैं।
व्यावहारिक वजह भी है अहम
खरमास का समय आमतौर पर सर्दियों के मौसम में पड़ता है। इस दौरान ठंड, कोहरा और बीमारियों का खतरा अधिक रहता है। पहले के समय में जब यात्रा के साधन सीमित थे, दूर-दराज से बारात लाना और मेहमानों का आना काफी कठिन होता था। ऐसे में बड़े आयोजन करना न तो सुरक्षित माना जाता था और न ही सुविधाजनक। धीरे-धीरे यही परंपरा धार्मिक मान्यता का रूप ले गई।
खरमास में क्या करना शुभ माना जाता है?
हालांकि इस दौरान विवाह और गृहप्रवेश नहीं होते, लेकिन इसे खाली समय नहीं कहा गया है। इस महीने में दान-पुण्य, पूजा-पाठ, जप-तप और व्रत करने को श्रेष्ठ बताया गया है। माना जाता है कि इस समय की गई साधना का फल कई गुना अधिक मिलता है।
कब समाप्त होता है खरमास?
खरमास के समाप्त होते ही फिर से विवाह और अन्य मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। पंचांग के अनुसार जैसे ही सूर्य अपनी शुभ स्थिति में लौटता है, पंडित विवाह के मुहूर्त निकालना शुरू कर देते हैं और एक बार फिर शहनाइयों की गूंज सुनाई देने लगती है।
खरमास के दौरान शादियां और शुभ कार्यों पर रोक केवल परंपरा नहीं, बल्कि धार्मिक, ज्योतिषीय और व्यावहारिक कारणों का परिणाम है। यही वजह है कि आज भी लोग इस समय को मान्यता देते हुए मांगलिक कार्य टाल देते हैं और खरमास के खत्म होने का इंतजार करते हैं।
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