Aaravali Mountain : देश की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला अरावली को बचाने के लिए सरकार ने आखिरकार बड़ा और सख्त कदम उठा लिया है। पर्यावरण को गहरी चोट पहुंचा चुके अनियंत्रित खनन पर लगाम कसते हुए सरकार ने दिल्ली से गुजरात तक अरावली क्षेत्र में नए खनन पट्टों पर पूर्ण रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया है।
क्यों खतरे में थी अरावली? (Aaravali Mountain)
अरावली पर्वत श्रृंखला हजारों सालों से उत्तर भारत के लिए प्राकृतिक सुरक्षा कवच की तरह काम करती आ रही है।लेकिन बीते कुछ दशकों में अवैध और बेतहाशा खनन ने इसे गंभीर रूप से घायल कर दिया है।कई इलाकों में पहाड़ लगभग खत्म हो चुके हैं, जिससे मरुस्थलीकरण, जल संकट और प्रदूषण जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ी हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार अरावली कमजोर होने का सीधा असर दिल्ली-एनसीआर की हवा, तापमान और भूजल स्तर पर पड़ा है।राजस्थान की रेत अब धीरे-धीरे पूर्वी भारत की ओर बढ़ने लगी है, जो भविष्य के लिए बड़ा खतरा है।
सरकारी आदेश में क्या-क्या सख्ती?
- अरावली क्षेत्र में नए खनन पट्टों को कोई मंजूरी नहीं
- पुराने पट्टों की दोबारा पर्यावरणीय जांच
- अवैध खनन पर कड़ी कार्रवाई और भारी जुर्माना
- ड्रोन और सैटेलाइट से 24×7 निगरानी
- राज्यों को संयुक्त संरक्षण योजना बनाने के निर्देश
पर्यावरणविदों ने क्यों कहा ऐतिहासिक फैसला?
पर्यावरण विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों ने सरकार के इस फैसले को“अरावली के लिए जीवनदायिनी पहल” बताया है।उनका कहना है कि अगर इस आदेश को सख्ती से लागू किया गया,तो आने वाले वर्षों में अरावली फिर से हरी-भरी और मजबूत बन सकती है।
अब आगे क्या?
सरकार अरावली क्षेत्र में वृहद वृक्षारोपण, जल संरक्षण परियोजनाएं और स्थानीय लोगों की भागीदारी से संरक्षण अभियान शुरू करने की तैयारी में है।उम्मीद की जा रही है कि यह कदम न सिर्फ पर्यावरण को बचाएगा,बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित भविष्य भी सुनिश्चित करेगा।
कुल मिलाकर, अरावली को बचाने की यह मुहिम पर्यावरण संरक्षण की दिशा मेंसरकार का अब तक का सबसे बड़ा और निर्णायक कदम माना जा रहा है।
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