Divya Singh : कामयाबी सबको यूं ही मिल जाती तो कोई परिश्रम और संघर्ष का मतलब नहीं समझ पाता। संघर्ष की आग में तपकर ही लोहा बन सकता है सोना। लोहा यानी एक आम इंसान जो कठिनाइयों से लड़ते हुए पा जाता है मंजिल पर इस प्रक्रिया में वह सोने सा निखर जाता है। उसके अवगुण खत्म होने लगते हैं। वे चेहरे पर मुस्कान लिए सबको मोहित कर जाते हैं। ऐसी ही हैं सोने की तरह दमकने वाली दिव्या सिंह। उनके भीतर कामयाबी पाने की ऐसी उत्कट लालसा थी कि परिणाम भी उसी रूप में सामने आयी। उस लालसा की वजह से ही वह आज यहां तक पहुंची हैं।
शुरुआत टिक टॉक से
दिव्या (Divya Singh) ने पढ़ाई करते हुए टिकटॉक पर वीडियो बनाना शुरू किया। हुनर तो था ही। डांस और अभिनय में मन रमता था। पर अपनी प्रतिभा को दूसरों तक लाने की राह इतनी आसान नहीं थी। पर कहते हैं न कि जहां चाह है वहां राह भी है। दिव्या की चाह इतनी उत्कट थी कि परिवार की पाबंदियों के बीच भी खुद को रुकने नहीं दिया। नकारात्मकता को हावी होने नहीं दिया। वह लगातार आगे बढ़ती गयीं।
पिता की मृत्यु का आघात
कहते हैं न जब बड़ी कामयाबी पानी हो तो हर चटटान से टकराने का साहस आपके भीतर होना चाहिए। यूं ही कहें जीवन में कुछ प्राप्त करना आसान नहीं और बड़े लक्ष्य के लिए आपके भीतर जीवटता और संघर्ष करते हुए हर कीमत पर आगे बढ़ने का हौसला चाहिए होता है। दिव्या (Divya Singh) राजपूत परिवार से रही हैं। वह जो कुछ शौकिया करतीं, उनके पापा इन सब चीजों के खिलाफ थे। पर उनकी प्रतिभा को देखकर मां की मदद से पिता को मनाया गया। पर अचानक पिता जी की मृत्यु हो जाने के बाद जैसे परीक्षा की घड़ी आ गयी जो सबसे कठिन दौर था कामयाबी की राह में।
खुद को संभाला और सबको साथ लिया
वक्त एक सा नहीं रहता। छोटी उम्र में ही सारे परिवार की जिम्मेदारी दिव्या पर ही आ गई। बता दें कि दिव्या सिंह (Divya Singh)का जन्म 18 मार्च 1997 को राजस्थान के जोधपुर में में हुआ। पिता की मौत के बाद जिन कठिन परिस्थितियों को उन्होंने जिया है, उन्हें झेलने वाला कोई भी शख्स पूरी तरह से टूट सकता था। फिर भी परिवार और विशेष तौर पर अपनी मां के लिए कहीं पर भी हार नहीं मानी और वह परिवार की बेटी होकर भी बेटे का फर्ज अदा कर रही हैं।
संघर्ष को स्वीकारा और छा गयीं सोशल मीडिया पर
संघर्ष को स्वीकार कर ही सफलता की राह पर आगे बढ़ा जा सकता है यह दिव्या ने अपने जीवन से सबको सिखाया। हम सबके जीवन में अनेकों बाधाएं आती हैं, पर दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो तमाम बाधाएं पार हो सकती हैं। दरअसल, हमारे संघर्ष की गाथा के लेखक हम स्वयं हैं। दिव्या की कहानी बताती है कि यदि हम नकारात्मकता में डूब गए तो संघर्ष नहीं कर पाएंगे व अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएंगे। सकारात्मक दृष्टि से हम कठिन संघर्ष को सरल कर सकते हैं। दिव्या आज सोशल मीडिया पर तेजी से उभर रही हैं तो केवल अपने आत्मशक्ति के कारण।
युवाओं की चहेती
युवा सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर को खूब पसंद करते हैं। दिव्या की शानदार अदाकारी और प्रस्तुति से युक्त रील्स के कारण उनके फालोअर्स की संख्या लगातार बढ़ रही है। अभी वह जयपुर मानसरोवर में रहते हैं। आज दिव्या (Divya Singh) के इंस्टाग्राम पर 238 K फॉलोवर्स हैं। दिव्या सिंह का राजस्थान से विशेष लगाव होने के कारण वो राजस्थानी वीडियो भी बनाती है और इंस्टाग्राम के अपने दूसरे अकाउंट पर अपलोड करती है जिस पर उनके 132k फॉलोवर है। Youtube पर भी हजारों सब्सक्राइबर हैं।
सबको मानती हैं परिवार
दिव्या सिंह (Divya Singh) असल जिंदगी में बेहद मासूम और भावुक स्वभाव की हैं। जिस किसी सोशल प्लेटफार्म पर उनके जितने भी फॉलोवर्स है उन सभी को अपना परिवार मानती है और आज जिस मुकाम पर है वो सब परिवार और उन सभी के प्यार की वजह से है। अपने फालोअर्स के प्यार की वजह से दिव्या सिंह ने mxlite App पर 1 मिलियन फालोअर्स पूरे कर लिए हैं। दिव्या सिंह अपने फैंस और फालोअर्स से सपोर्ट चाहती है जिससे वह और बेहतर करके एक मिसाल कायम कर सकें।
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