Ashadh Maas 2023: हिंदू कैलेंडर का चौथा महीना यानी आषाढ़ मास 5 जून से शुरू हो गया है और यह 6 जुलाई तक रहेगा। इस महीने में तीर्थ यात्रा करना, साथ ही दान करना सबसे शुभ माना जाता है। आषाढ़ मास में ही देवशयनी एकादशी का आगमन होता है जिसके बाद भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। इसी महीने से वर्षा ऋतु भी प्रारंभ हो जाती है और मौसम के बदलाव की वजह से इस महीने स्वास्थ्य का खास ख्याल रखना जरूरी होता है।
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आषाढ़ मास में इन चीजों का ध्यान रखें:
आषाढ़ मास में वर्षा ऋतु प्रारंभ होने के कारण संक्रमण का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। इसलिए आषाढ़ मास में पौष्टिक एवं संतुलित आहार लेना अति आवश्यक है। इस महीने में ज्यादा से ज्यादा जलयुक्त फल खाएं, बाजार से लाई हुई चीजों को पहले धोएं फिर उसे इस्तेमाल में लाएं। इस महीने में तेल की चीजों का कम से कम सेवन करना चाहिए साथ ही जहां तक हो सके बासी भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए।
इसी महीने की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता है, जिस दिन गुरुजनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आषाढ़ मास में नमक, कांसा, तांबा, मिट्टी का पात्र, गुड, गेहूं, चावल, तिल आदि का दान शुभ माना जाता है। इस महीने में तीर्थ यात्रा का भी महत्व होता है।
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आषाढ़ मास का धार्मिक महत्व:
• यह महीना भगवान विष्णु का महीना माना जाता है। इस दौरान उनकी पूजा आराधना करने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
• आषाढ़ मास में ही योगिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने जितने पुण्य की प्राप्ति होती है।
• आषाढ़ मास के ही शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी आती है जिस दौरान भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। श्री हरि के योग निद्रा मैं जाने के बाद से 4 महीने तक सभी मांगलिक कार्यक्रम रुक जाते हैं।
• इस महीने में ही गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है, जिस दिन अपने गुरुजनों की पूजा की जाती है।
• इस माह में भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान शिव की भी पूजा काफी लाभकारी होती है। इस माह में प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि आते हैं जिनका विशेष महत्व होता है।
(यह ख़बर विधान न्यूज के साथ इंटर्नशिप कर रहे गौरव श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गई है)
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