Girijaband Hanuman Mandir: संकटमोचन कहे जाने वाले हनुमान जी के भारत में बहुत से मंदिर है जहां वे अपने कई रूपों में विराजमान है। रामेश्वर में पंचमुखी हनुमान का रूप तो राजस्थान के मेहंदीपुर में बालाजी का रूप। लेकिन छत्तीसगढ़ के रतनपुर गांव में एक ऐसा भी मंदिर है जहां हनुमान जी नारी के रूप में विराजमान है। तो आइए जानते हैं हनुमान जी के इस नारी रूप के पीछे की मान्यता के बारे में।

दस हजार वर्ष पुराना है मंदिर का इतिहास
शास्त्रों और पौराणिक कथाओं में हनुमान जी का वर्णन एक बाल ब्रह्मचारी के रूप में मिलता है। लेकिन छत्तीसगढ़ का यह गिरिजाबंद मंदिर भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां हनुमान जी एक स्त्री के रूप में विराजमान है। इस मंदिर का इतिहास लगभग 10 हजार वर्ष पुराना बताया जाता है। माना जाता है कि जो कोई भी यहां दर्शन के लिए आता है उसे पवन पुत्र कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटाते।

किसने बनवाया था हनुमान जी का ये मंदिर
मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण हनुमान जी के ही एक भक्तों द्वारा लगभग 10 हजार वर्ष पहले करवाया गया था। हनुमान जी के यह भक्तों रतनपुर के राजा पृथ्वी देवजू थें जिन्हें कोड की बीमारी थी। मान्यता है कि एक दिन हनुमान जी देवजू के सपने में एक स्त्री के रूप में आए जिसकी लंगूर जैसी पूंछ, कानों में कुंडल और माथे पर मुकुट था। उनके एक हाथ में लड्डू से भरी थाली और दूसरे हाथ में राम मुद्रा अंकित थी। सपने में हनुमान जी ने राजा से कहा कि वह उसकी भक्ति से प्रसन्न है और उनका कष्ट अवश्य दूर होगा। हनुमान जी ने देवजू से उनका एक मंदिर बनवाने को कहा और यह भी बताया कि मंदिर के पीछे तालाब खुदवा कर उस में नहाने से उनका रोग दूर हो जाएगा।
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कैसी हुई मंदिर में मूर्ति की स्थापना
हनुमान जी की आज्ञा अनुसार राजा ने मंदिर का निर्माण शुरू करवा दिया जब मंदिर का निर्माण पूरा होने वाला था तब मंदिर में स्थापना के लिए मूर्ति कहां से लाई जाए इसका प्रश्न खड़ा हो गया। उसी रात एक बार फिर हनुमान जी अपने उसी रूप में राजा के सपने में आए और बताया की महामाया कुंड में उनकी एक मूर्ति रखी हुई है, उन्हें वह मूर्ति निकालकर मंदिर में स्थापित करवानी है। जब राजा ने महामाया कुंड से मूर्ति निकलवाई तो वह मूर्ति बिल्कुल वैसी ही थी जैसा कि हनुमान जी का स्वरूप राजा के सपने में था। राजा न्यूज़ मूर्ति की स्थापना पूरे विधि विधान से करवाई और फिर उस तालाब में स्नान करने के बाद उनकी बीमारी पूरी तरह से ठीक हो गई। उसी दिन के बाद से इस मंदिर में हनुमान जी के स्त्री रूप की पूजा होती है। मंदिर में हनुमान जी का श्रृंगार भी बिल्कुल महिलाओं की तरह किया जाता है।
(यह ख़बर विधान न्यूज के साथ इंटर्नशिप कर रहे गौरव श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गई है)
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