Deadly Attack On Chandrashekhar Azad Video : चंद्रशेखर आजद के पेट को छूते हुए निकली गोली, देखिए सनसनीखेज वीडियो

Deadly Attack On Chandrashekhar Azad Video : यूपी के देवबंद जिले में भीम आर्मी के प्रमुख ‘चंद्रशेखर आजाद रावण’ पर जानलेवा हमला हुआ है। हमले में उन पर गोली चली है, लेकिन वह बाल-बाल बच गए हैं। हालांकि, उन्होंने घायल होने का सामना किया है और अपने दर्द के बावजूद इस हमले के बारे में बयान दिया है।

चंद्रशेखर आजाद रावण ने कहा, ‘मुझे याद नहीं है लेकिन मेरे लोगों ने हमलावरों की पहचान की है। उनकी गाड़ी सहारनपुर की तरफ भागी। हमने उनका पीछा किया। हमारी गाड़ी एकांत में थी, और हमारे साथी लोग आगे-पीछे थे।’ जब रावण से पूछा गया कि उनके साथी ने हमलावरों का पीछा क्यों नहीं किया, तो रावण ने कहा कि हमने यू-टर्न लिया, उसके बाद क्या हुआ, मुझे याद नहीं है।

घटना के दौरान गोली चलने से हुई घबराहट: आजाद

रावण ने जारी किए बयान में कहा, ‘हमारे साथी डॉक्टर साहब ब्रजपाल के हाथ से खून बह रहा था। शायद उन्हें गोली लगी है। मुझे और कुछ याद नहीं है, जब गोली चली तो मुझे थोड़ी घबराहट हुई।

मैंने सहारनपुर के एक वरिष्ठ अधिकारी को फोन किया। मैंने उन्हें गोली चलने की जानकारी दी। मुझे दर्द हो रहा है, इसलिए मुझे लगता है कि मुझे भी गोली लग गई है। मैंने एसएसपी सहारनपुर को फोन किया था।’

सहारनपुर के एसएसपी डॉ विपिन टाडा ने कहा, ‘गोली चलते समय उनके पेट में चोट लगी। उनकी हालत स्थिर है, वे खतरे से बाहर हैं। पुलिस इस मामले की जांच करेगी और आवश्यक कार्रवाई करेगी।’

अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘यह जंगलराज है!’

इस हमले पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी अपनी बात रखी है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘सहारनपुर के देवबंद में आज़ाद सामाजिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद पर सत्ता संरक्षित अपराधियों द्वारा जानलेवा हमला घोर निंदनीय और कायरतापूर्ण कृत्य है। जब बीजेपी के शासन में जनप्रतिनिधि भी सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता का क्या होगा? यूपी में जंगलराज है!’

‘चंद्रशेखर आजाद रावण’ कौन हैं?

चंद्रशेखर आजाद रावण भीम आर्मी के प्रमुख हैं। उनका जन्म 3 दिसंबर 1986 को सहारनपुर के घडकौली गांव में हुआ था। उनके पिता एक सरकारी शिक्षक हैं। चंद्रशेखर आजाद ने देहरादून में कानून पढ़ाई की है। सहारनपुर में पिता के इलाज के दौरान उन्होंने दलितों पर अत्याचार देखा, जिसके कारण वे राजनीति में सक्रिय हो गए और अमेरिका जाने की सोच छोड़ दी।

भीम आर्मी की स्थापना साल 2014 में चंद्रशेखर आजाद, दलित एक्टिविस्ट सतीश कुमार और विनय रतन आर्य ने की थी। यह संगठन बाबा साहेब अंबेडकर की विचारधारा का पालन करता है और दलितों-पिछड़ों की आवाज को प्रखरता से उठाता है।

 

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