Prayagraj Subhash Chandra Bose: प्रयागराज के सबसे भीड़ भरे इलाके में नेताजी सुभाष चंद्र की प्रतिमा के इर्द गिर्द तोड़-फोड़ की गई है। ताज्जुब यह है कि यह घटना कब हुई और किन लोगों ने इसे अंजाम दिया, इसकी भनक भी नहीं लग पा रही।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहर प्रयागराज में एक विचित्र घटना सामने आई है। शहर का सबसे पॉश इलाका है सिविल लाइंस सिविल लाइंस के केंद्र में है नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बड़ी सी प्रतिमा। 2019 में इस प्रतिमा का सौंदर्यीकरण हुआ और इस मुख्य प्रतिमा के इर्द गिर्द फ़ौजियों की प्रतिमाएँ लगाई गईं, जिनके हाथों में बंदूकें थीं। अचानक देखा गया है कि चार जवानों के हाथों से बंदूकें गायब हैं और तीन के तो हाथ भी तोड़ दिये गए हैं।

इस प्रतिमा से करीब बीस मीटर पर एक पुलिस चौकी है और कुछ कदम दूर है प्रयागराज विकास प्राधिकरण की बड़ी सी इमारत। ताज्जुब है कि फिर भी इस वारदात के बारे में विस्तृत जानकारी किसी को नहीं। सिविल लाइंस में कई कैमरे लगे हुये हैं और इस घटना के बाद शायद इसकी खोज बीन शुरू हो। पर फिर भी यह अपने आप में एक आश्चर्यजनक बात है, क्योंकि पुलिस के वाहन उस प्रतिमा के पास देर रात को भी खड़े मिल जाएंगे।लगातार वाहनों की चेकिंग होती रहती है. चमचमाती दुकानें और होटेल्स की भरमार है।

ऐसी किसी जगह पर इतनी ज़्यादा तोड़ फोड़ होना हैरत में डालता है। एक अखबार लिखता है कि पी डी ए के वीसी अरविंद चौहान का कहना है कि इस बारे में उन्हें कोई भी जानकारी नहीं है। जब विधान न्यूज़ के प्रतिनिधि वहां पहुंचे, तो प्रतिमा के करीब की पुलिस चौकी पर ताला बंद था और इस बारे में बात करने के लिए कोई घटनास्थल पर कोई उपस्थित नहीं था। दो प्रेस प्रतिनिधि भी शायद इस बारे में जानकारी बटोरने की प्रतीक्षा में वहीं खड़े थे।

कई सवाल उठते हैं कि नेताजी को लेकर फिलहाल कोई विवाद भी नहीं चल रहा। कोई राजनीतिक दल नेताजी के खिलाफ भी नहीं बोल रहा। आम तौर पर उन्हें देश भर में लोग और सभी राजनीतिक दल सम्मान से देखते हैं। इसी चौराहे पर नेताजी की जयंती के दौरान एक समारोह भी आयोजित होता रहा है ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि आखिर ऐसा काम कौन करेगा। क्या यह सिर्फ सरकार को बदनाम करने की एक साजिश का हिस्सा है? पर इतनी करीब पुलिस चौकी और पी डी ए की उपस्थिति के बावजूद यह कैसे संभव हुआ है। एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि सिविल लाइन्स से कुछ दूर सौन्दर्यीकरण के लिए लगाई गई एक प्रतिमा का कोई हिस्सा भी कुछ दिनों पहले ही गायब हुआ है। उनका मानना है कि यह नशेड़ियों का काम है जो उन हिस्सों को तोड़ कर बेचते हैं जिनसे कुछ पैसों का इंतजाम हो जाए। पर इस बात से संतोष नहीं होता। यह सवाल बना रह जाता है कि भला नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के फौजियों से किसको दुश्मनी होगी और किसने ऐसी भद्दी हरकत की होगी और यदि नशेड़ियों ने भी ऐसा किया तो पुलिस को तो रोकना ही चाहिए।
तमाम खबरों के लिए हमें Facebook पर लाइक करें, Twitter और Kooapp पर फॉलो करें। Vidhan News पर विस्तार से पढ़ें ताजा-तरीन खबरें।