Rudraksha Benefits: कैसे हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति, जाने अलग-अलग रुद्राक्ष को धारण करने के फायदे

Rudraksha Benefits: पुराणों के अनुसार भगवान शिव का रूप माना जाता है रुद्राक्ष। पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान शिव अपनी तपस्या में बहुत भावुक हो गए, तब उनकी आंखों से निकले आंसू धरती पर गिर कर रुद्राक्ष बन गए थे। मान्यता है कि रुद्राक्ष पहनने से इंसान मानसिक और शारीरिक परेशानियों से दूर रहता है और अपने कार्य के प्रति एकाग्र हो जाता है। वैसे तो रुद्राक्ष 21 प्रकार के माने गए हैं, परंतु इनमें 14 प्रकार के रुद्राक्ष सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाते हैं। तो आइए जानते हैं अलग-अलग प्रकार के रुद्राक्ष को धारण करने के फायदे।

 

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Rudraksha Benefits
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एक पेड़ का फल है रुद्राक्ष

साक्षात भगवान शिव का स्वरूप माने जाने वाला रुद्राक्ष असल में एक पेड़ का फल है, जो आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है। रुद्राक्ष का पेड़ नेपाल, थाईलैंड, बर्मा और इंडोनेशिया में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है। भारत के भी कई इलाकों में काफी ऊंचाई पर रुद्राक्ष का पेड़ पाया जाता है। रुद्राक्ष दरअसल पेड़ का बीज होता है।

Rudraksha Benefits
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अलग-अलग प्रकार के रुद्राक्ष के फायदे

एक मुखी रुद्राक्ष: इसे साक्षात भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने से जातक के जीवन में किसी प्रकार की कमी नहीं आती। यह रुद्राक्ष काफी दुर्लभ माना जाता है और इसे धारण करने से जातक को यश की प्राप्ति होती है।

दो मुखी रुद्राक्ष: दो मुखी रुद्राक्ष को शिव-शक्ति यानी शिव के अर्धनारीश्वर रूप का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने से जातक के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और मन को शांति मिलती है।

तीन मुखी रुद्राक्ष: इस रुद्राक्ष को त्रिदेव का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने से व्यक्ति को परम् शांति और खुशहाली की अनुभूति के साथ-साथ घर में सुख, संपत्ति, यश और सौभाग्य की भी प्राप्ति होती है।

चार मुखी रुद्राक्ष: इस रुद्राक्ष को ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है। यह जातक के जीवन का उद्देश्य काम और मोक्ष देने वाला माना जाता है। त्वचा के रोगों, एकाग्रता और मानसिक क्षमता में भी इसका विशेष लाभ होता है।

पंचमुखी रुद्राक्ष: इसे साक्षात रुद्र का स्वरूप माना जाता है। आमतौर पर माला बनाने के लिए इसी रुद्राक्ष का प्रयोग होता है। इसे कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से मंत्र शक्ति और ज्ञान प्राप्ति होती है।

छः मुखी रुद्राक्ष: इसे भगवान कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है। इसे दाहिने हाथ में पहनना चाहिए। इस रुद्राक्ष को धारण करने से ज्ञान और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

सात मुखी रुद्राक्ष: इस रुद्राक्ष को सप्तर्षियों का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने से आर्थिक स्थिति और भी बेहतर होती है और मंत्रों के जाप का फल प्राप्त होता है।

अष्ट मुखी रुद्राक्ष: इस रुद्राक्ष को सबसे पहले पूजे जाने वाले साक्षात गणेश जी का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है और अनेक प्रकार के शारीरिक रोग भी दूर हो जाते हैं।

नौ मुखी रुद्राक्ष: यह रुद्राक्ष नवदुर्गा तथा नवग्रह का स्वरूप माना जाता है। यह रुद्राक्ष मृत्यु दूर हटाने वाला, यश और कीर्ति प्रदान करने में भी लाभदायक माना जाता है।

दस मुखी रुद्राक्ष: यह रुद्राक्ष भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने से व्यक्ति नकारात्मक शक्तियों से बचा रहता है साथ ही दमा, गठिया, नेत्र संबंधी रोगों में भी लाभ मिलता है।

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ग्यारह मुखी रुद्राक्ष: इस रुद्राक्ष को भी रुद्र कहा जाता है और इसे शिखा में धारण किया जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से कई हजार यश कराने का फल मिलता है।

बारह मुखी रुद्राक्ष: इस रुद्राक्ष को कान में धारण करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसे धारण करने से जातक को धन और सुख की प्राप्ति होती है।

तेरह मुखी रुद्राक्ष: यह रुद्राक्ष सारी मनोकामनाएं पूरी करने वाला माना जाता है।

चौदह मुखी रुद्राक्ष: इस रुद्राक्ष को धारण करने से मनुष्य पवित्र हो जाता है। इसे सिर पर धारण करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

 

डिस्क्लेमर: इस ख़बर में निहित किसी भी जानकारी, सूचना अथवा गणना के विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। यह विभिन्न माध्यमों, ज्योतिष, पंचांग, मान्यताओं के आधार पर संग्रहित कर तैयार की गई है।

 

( यह ख़बर विधान न्यूज के साथ इंटर्नशिप कर रहे गौरव श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गई है।)

 

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