Mangla Gauri Vrat Katha: आज अखंड सौभाग्य का मंगला गौरी व्रत, सिर्फ इस एक कथा से पूरी होगी हर मुराद

Mangla Gauri Vrat Katha: आज सावन महीने का छठा मंगला गौरी व्रत है। आज के दिन अखंड सौभाग्य के लिए महिलाओं के यह कथा जरुर पढ़ना चाहिए...

Mangla Gauri Vrat 2022: आज मां मंगला गौरी का छठा पावन व्रत है। सावन मास में पड़ने वाले हर एक मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत का व्रत रखा जाता है। इस दिन माता पार्वती के मंगला गौरी रूप का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि मां मंगला गौरी प्रसन्न होकर महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं। आचार्य आशीष राघव द्विवेदी जी से जानते हैं मंगला गौरी व्रत महत्व, पूजा विधि और कथा के बारे में…

इस दिन सुबह सवेरे महिलाएं जल्दी उठकर स्नान करके साफ वस्त्र पहन कर हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लेती हैं। उसके बाद, उन्होंने एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछा कर माता पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति के साथ ही भगवान गणेश जी की भी मूर्ति स्थापित करती हैं।

इसके बाद, मां पार्वती को सिंदूर का तिलक लगा कर और घी का दीपक जलाती है। साथ ही सुहाग के सामान जैसे कि लाल चूड़ियां, लाल बिंदी, लाल चुनरी, मेहंदी आदि माता पार्वती को अर्पित करके पूजा करती हैं। इसके बाद, मां मंगला गौर व्रत की कथा का पाठ किया जाता है।

Mangla Gauri Vrat

माता मंगला गौरी व्रत कथा (Mangla Gauri Vrat Katha)

पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक, एक समय की बात है, धर्मपाल नाम के एक सेठ थे। सेठ धर्मपाल के पास धन की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उन्हें कोई संतान नहीं थी। वह हमेशा चिंतित रहते थे कि अगर उन्हें कोई संतान नहीं हुई तो उनका वंश आगे कैसे चलेगा? कौन उनके व्यापार की देखभाल करेगा?

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एक दिन, उन्होंने गुरु की सलाह से माता पार्वती की भक्ति और पूजा करने लगे। प्रसन्न होकर मां पार्वती ने उन्हें संतान प्राप्ति का वरदान दिया, लेकिन संतान की आयु अल्प रहेगी। कालांतर में, धर्मपाल की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया।

धर्मपाल ने ज्योतिषी को बुलाकर पुत्र का नामकरण करवाया और उन्हें मां पार्वती की भविष्यवाणी के बारे में बताया। ज्योतिषी ने कहा कि वह अपने पुत्र की शादी उस कन्या से कराएं, जो मंगला गौरी व्रत करती हो। मंगला गौरी व्रत के पुण्य से आपका पुत्र दीर्घायु होगा।

धर्मपाल ने अपने इकलौते पुत्र का विवाह मंगला गौरी व्रत रखने वाली एक कन्या से करवा दिया। कन्या के पुण्य से धर्मपाल का पुत्र मृत्यु पाश से मुक्त हो गया। इसके बाद से माँ मंगला गौरी के व्रत करने की प्रथा चली आ रही है।

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आपका दिन मंगलमय हो

आचार्य आशीष राघव द्विवेदी, भागवताचार्य (ज्योतिष रत्न), संपर्क सूत्र: 9935282234 

(डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है। यह केवल सूचना के लिए दी जा रही है। Vidhan News इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।)

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