करवा चौथ की रात महिलाएं छलनी से क्यों देखती है चांद?
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अखंड सौभाग्य
करवा चौथ का व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए रखती हैं।
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पूजा की थाली में छलनी क्यों है जरूरी?
आपको बता दें कि करवा चौथ की पूजा में छलनी का काफी ज्यादा महत्व माना जाता है। महिलाएं करवा चौथ पर पूजा की थाली सजाती हैं।
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पूजा की थाली में छलनी क्यों है जरूरी?
फिर पूजा के बाद महिलाएं इसी छलनी से पति का चेहरा देखकर अपना करवा चौथ का व्रत पूरा करती हैं।
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पूजा की थाली में छलनी क्यों है जरूरी?
कई स्थानों पर महिलाएं छलनी में दीपक रखकर चांद को देखने के बाद अपने पति का चेहरा देखती हैं। जिसके बाद पति उन्हें अपने हाथों से पानी भी पिलाता है और फिर यह व्रत पूर्ण होता है।
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पूजा की थाली में छलनी क्यों है जरूरी?
पूजा की थाली में छलनी को विशेष स्थान दिया जाता है। कई जगहों पर छलनी से चांद को देखकर व्रत खोलने की परंपरा है। इसलिए छलनी का बहुत महत्व माना जाता है।
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पूजा की थाली में छलनी क्यों है जरूरी?
आपको बता दें कि करवा चौथ में छलनी का प्रयोग किए जाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। एक पतिव्रता और अति सुन्दर स्त्री का नाम वीरवती था उसके सात भाई थे। जिस साल वीरवती का विवाह हुआ उसी साल उसने करवा चौथ का व्रत रखा।
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पूजा की थाली में छलनी क्यों है जरूरी?
लेकिन भूख के कारण उसकी तबीयत खराब होने लगी। भाईयों से बहन की यह स्थिति देखी नहीं जा रही थी। इसलिए चांद निकलने से पहले ही एक पेड़ पर बैठकर उसके भाई ने छलनी के पीछे दीपक रखकर बहन से कहने लगे कि देखो चांद निकल आया है।
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पूजा की थाली में छलनी क्यों है जरूरी?
और वीरवती ने उस छलनी के पीछे वाले दीपक को ही चांद समझकर करवा चौथ का व्रत खोल दिया। ऐसा करने के बाद वीरवती के पति की मृत्यु हो गई।
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पूजा की थाली में छलनी क्यों है जरूरी?
विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत रखने पर करवा माता प्रसन्न हुईं और उन्होंने साहूकार की बेटी के पति को फिर से जीवित कर दिया, यही वजह है कि करवा चौथ की रात सभी व्रती महिलाएं छलनी से चंद्रमा के दर्शन करती हैं।
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