Karwa Chauth 2023 : करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में ही क्यों खाई जाती है सरगी? जानें ये अहम कारण

Karwa Chauth 2023 : हिंदू धर्म में हर व्रत और त्योहार का अपना महत्व है। कार्तिक माह की शुरुआत होने वाली है। ऐसे में इस माह में कई बड़े व्रत आते हैं।

Karwa Chauth 2023 : हिंदू धर्म में हर व्रत और त्योहार का अपना महत्व है। कार्तिक माह की शुरुआत होने वाली है। ऐसे में इस माह में कई बड़े व्रत आते हैं। इनमें से एक करवा चौथ का व्रत भी है, जो सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करती हैं।

आइए जानते है इस दिन क्यों खाई जाती है सरगी? और क्या है इसका महत्व।

Karwa Chauth 2023 : सनातन धर्म में हर त्योहार और व्रत का विशेष महत्व है। हर महिने कुछ अहम व्रत रखे जाते हैं। अश्विन माह के बाद कार्तिक माह की शुरुआत होगी। ऐसे में इस माह में कई व्रत और त्योहार रखे जाते हैं। बता दें कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन करवाचौथ का व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और बेहतर स्वास्थ्य के लिए व्रत करती हैं। इस दिन महिलाएं पूरे दिन भूखी-प्यासी रहकर भगवान से अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।

आइए जानते है क्या है सरगी?

सरगी सास द्वारा दिए प्रेम और आशीर्वाद का प्रतीक है। करवाचौथ के दिन महिलाएं कुछ खा पी नहीं सकती, इसलिए सास अफनी बहु को सरगी देती है। सरगी को व्रत से पहले खाया जाता है। सरगी की थाली में मीठे और नमकीन व्यंजन होते हैं जैसे सेवइयां, फल, नारियल, ड्राय फ्रूट्स, पराठा, मठरी, जूस आदि। जिसे खाकर पूरा दिन व्रत रखने वाली महिला को एनर्जी मिलती है। साथ ही सरगी की थाली में सुहाग की चीजें रखी जाती है जैसे सिंदूर, चूड़ियां, साड़ी आदि।

आखिर ब्रह्म मुहूर्त में क्यों खाते हैं सरगी?

शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में ही समस्त देवी-देवता धरती पर भ्रमण के लिए निकलते हैं। इसलिए इस समय सरगी खाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। साथ ही देवी-देवताओं का आशीर्वाद भी मिलता है। इसके साथ ही भगवान वर्ती को आशीर्वाद देते हैं ताकि वे अपना व्रत बिना किसी बाधा के कर सकें। सरगी सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद ग्रहण की जाती है। सरगी ग्रहण करने से पहले सास का आशीर्वाद लिया जाता है।

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