डॉ. रोशनी टाक, एस्ट्रोलॉजर : इस साल शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर शनिवार को मनाया जाएगा। दरअसल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं और इसी दिन यह पावन पर्व मनाया जाता है, लेकिन इस साल शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का साया है। इस बार 28 अक्टूबर शनिवार को मध्य रात्रि में शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan Sharadh Purnima Upay) का साया रहेगा। इस कारण ग्रहण की शुद्धि के बाद ही मंदिरों में खीर का भोग लग सकेगा। 28 अक्तूबर शनिवार को अश्विनी नक्षत्र व मेष राशि पर खंड ग्रास चंद्र ग्रहण होगा जो भारत में दिखाई देगा।
चंद्र ग्रहण पर मान्य होगा सूतक
इस ग्रहण के लिए शास्त्रों के मुताबिक बताए गए यम, नियम, सूतक स्नान, और दान पुण्य के सभी नियम मान्य होंगे। इस ग्रहण का सूतक अपराह्न 4:5 बजे से मान्य होगा व ग्रहण का आरंभ रात्रि 1:5 बजे व मोक्ष शुद्धि रात्रि 2:24 बजे होगी। इस दौरान मंदिरों के पट बंद रहेंगे। उसके बाद लगभग मंदिरों में भोर तड़के मंगला आरती के समय ही पट्ट खुलेंगे।
ऐसे मनाएं शरद पूर्णिमा उत्सव
ऐसे में इस दिन ग्रहण सूतक को लेकर आमजन को शंका है कि वो शरद पूर्णिमा उत्सव कैसे मनाएंगे? दरअसल किसी भी पर्व को छोड़ने या नहीं मनाने की शास्त्र आज्ञा नहीं देते हैं। बल्कि शास्त्रों में बताया है कि दूध, दही, मठ्ठा, घी, तेल में पक्का अन्न व मिठाई में तिल व डाभ रख देने से ये दूषित नहीं होते है। ऐसे में या तो सूतक लगने के पूर्व दूध में या खीर बनाकर उसमें तिल व डाभ रख कर कपड़े से ढक कर खुल्ले आसमान के नीचे रख दें।
सूतक से पहले या फिर ग्रहण शुद्धि के बाद करें खीर उपाय
लेकिन ग्रहण व सूतक के दौरान इसे स्पर्श न करें। या फिर ग्रहण शुद्धि के बाद स्नानादि से निवृत्त होकर खीर बनाकर आसमान के नीचे रख दें। फिर मंदिरों की शुद्धि करके पूजन आरती कर खीर का भोग लगा सकते है। भले ही कितनी देर हो लेकिन उत्सव छोड़ने की आवश्यकता नहीं है।
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शरद पूर्णिमा पर चन्द्र किरणों से अमृत की होती है वर्षा !
धर्म शास्त्रों के अनुसार रात्रि में चन्द्र किरणों से अमृत की वर्षा होती है। इस दिन चंद्रमा सोलह किरणों से परिपूर्ण होता है।इस रात को खीर बनाकर चंद्रमा को खीर में देखा जाता है और फिर उसका सुबह में सेवन किया जाता है। इसका सेवन करने से कई प्रकार के रोगों से निजात मिलती है या रोगों का असर कम होता है। अत: दूध या खीर को चंद्रमा के प्रकाश में रखकर इसका सेवन किया जाता है।
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खीर में शामिल हो जाता है दिव्य औषधि !
किसी दिव्य औषधि को खीर में मिलाकर शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों औषधीय गुण कई गुना बढ़ जाते हैं, इसके अलावा दूध में भरपूर चांद की किरणों से मिलने वाला अमृत तत्व मिलता है।चांदी के बर्तन में रोग-प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। अत: यदि खीर को चांदी के बर्तन में भरकर शरद पूर्णिमा की रात बाहर खुले आसमान में रखा जाए तो वो और भी अधिक लाभदायी होती है।
(डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है। यहां केवल सूचना के लिए दी जा रही है। Vidhan News इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।)
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