Dev Uthani Ekadashi Ke Upay: हिंदू सनातन धर्म में देवउठनी एकादशी बहुत ही महत्व रखता है। इसे देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। हर साल कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादसी का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन जगत के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु जी की आराधना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान विष्णु 4 महीने की योग निद्रा से देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं और फिर से संसार का संचालन अपने हाथों में ले लेते हैं। इसी कारण इस दिन हिंदू धर्म में बहुत ही शुभ माना गया है। आचार्य आशीष राघव द्विवेदी जी से जानते हैं देवउठनी एकादशी के बारे में विस्तार से…
देवउठनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Dev Uthani Ekadashi Shubh Muhurat)
- देवउठनी एकादशी तिथि की शुरुआत: 22 नवंबर, रात 11.03 बजे
- देवउठनी एकादशी तिथि समाप्त: 23 नवंबर, रात 9.00 बजे
- रवि योग- 06:50 AM – 05:16 PM
- सर्वार्थ सिद्धि योग- 05:16 PM – 06:51 AM, नवंबर 24
- पूजा शुभ मुहूर्त- सुबह 5:03 AM से 9 AM तक, नवंबर 23
- व्रत पारण समय- 24 नवंबर, 06:53 AM से 08:50 AM तक
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देवउठनी एकादशी के उपाय (Dev Uthani Ekadashi Ke Upay)
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पंचोपचार पूजन काफी शुभ रहता है। इस पूजन में पूजा के पांच चरण होते हैं। जिसमें गंध, धूप, दीप, पुष्प और नेवेध आते हैं। इन पांचों वस्तुओं से पूजन करने से श्री हरि जातकों को बहुत ही फल और आशीर्वाद देते है। इस दिन शाम के समय देव मंदिर में जाकर पंच दीपदान करना भी काफी फलदायक माना गया है।
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देवउठनी एकादशी नियम (Dev Uthani Ekadashi Ke Niyam)
- देवउठनी एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए। मान्यता के मुताबिक इस दिन जो व्यक्ति चावल का सेवन करता है, उसका जन्म रेंगने वाले जीव की योनि में होता है।
- देवउठनी एकादशी के दिन भूलकर भी तुलसी की पत्तियों को तोड़ने नहीं तोड़ना चाहिए।
- देवउठनी एकादशी के दिन मास-मदिरा के सेवन बचना चाहिए।
(डिस्क्लेमर: यहां गए उपाय ज्योतिष शास्त्र और ज्योतिष गणना पर आधारित है और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। Vidhan News इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।)
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