Kiradu Temple Of Rajasthan: शाम के बाद जो यहां रुकता है वो बन जाता है पत्थर !

Kiradu Temple Of Rajasthan: हाल ही में राजस्थान में विधानसभा के चुनाव संपन्न हुए और लोकतंत्र के इस महाअभियान में राजस्थान पुलिस में सब इंस्पेक्टर आरती सिंह तंवर (Arti Singh Tanwar) ने भी मुस्तैदी के साथ ड्यूटी निभायी और इस दौरान उन्‍होंने ढूंढ लिया वह स्‍थान जिसे कहा जाता है राजस्‍थान का खजुराहो।

आ‍रती सिंह के अनुसार, अपने शैक्षणिक वर्षों में उन्‍होंने किराडू मन्दिर के बारे में पढ़ा था, तो जैसे ही बाड़मेर जाने के आदेश मिले वैसे ही उनके दिमाग़ में एक नाम कौंधा- ‘किराडू’, उन्‍होंने सोचा कुछ व्यक्तिगत समय मिल पाया तो ज़रूर देखूंगी वह जगह जिसके बारे में सिर्फ़ किताबों में पढ़ा था। लेकिन जब वह वहां पहुंची तो किराडु (Kiradu Temple Of Rajasthan) के बारे में और भी कुछ रोचक तथ्य और किवदन्तियां सुनने को मिलीं। आइए उन्‍हीं रहस्‍यमयी बातों को हम स्‍वयं आरती सिंह तंवर (Arti Singh Tanwar) से जानें।

Kiradu Temple of Rajasthan
Kiradu Temple of Rajasthan

यह है इतिहास

राजस्थान के बाड़मेर से लगभग चालीस किलोमीटर एक छोटा सा गांव है- किराडू और इस गांव में एक प्राचीन मंदिर है। इस गांव का नाम इस मंदिर के नाम पर ही पड़ा है। कहते हैं कि 11वीं शताब्दी में  किराडू, परमार वंश की राजधानी हुआ करता थी लेकिन आज यहां चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ है। जो भी शख्स इस जगह के बारे में जानता है उसके चेहरे पर  किराडू  के नाम से दहशत-सी उभर जाती है।

क्‍या कहती हैं किंवदंतियां

किंवदंतियों में ऐसा उल्लेख है कि बाड़मेर का यह ऐतिहासिक मंदिर शापित है। इस मंदिर के आस-पास रहने वाले लोग इस मंदिर से जुड़े अपशकुनों और श्रापों के बारे में बताते हैं। ग्रामीणों के मुताबिक, मंदिर के बाहर एक बड़ा सा पत्थर है। मान्यतानुसार, यह पत्‍थर एक कुम्हारिन है जो कि एक ऋषि के श्राप के कारण पत्थर बन गई है।

राजस्थान के इतिहासकारों के अनुसार, किराडू शहर अपने समय में सुख सुविधाओं से युक्त एक विकसित प्रदेश था। दूसरे प्रदेशों के लोग यहां पर व्यापार भी करने आते थे। लेकिन आज इस मंदिर में शाम होते ही सन्नाटा पसर जाता है व समस्त वास्तुकलाओं पर ताला लगा दिया जाता है।

जैसे ही सूरज ढलता है इंसानी शरीर को इससे दूर कर दिया जाता है। कहते हैं जो भी शाम के बाद यहां रुकता है वो पत्थर बन जाता है। लोगों का तो यहां तक कहना है कि यहां मौजूद सभी पत्थर किसी जमाने में इंसान हुआ करते थे।

राजस्‍थान का खजुराहो

19 शताब्दी में यहां भूकंप आया था जिसकी वजह से इस मंदिर को बहुत नुकसान पहुंचा तथा कई सालों तक वीरान रहने के कारण इस मंदिर का रख-रखाव नहीं हो पाया था। किराडू में कुल 5 मंदिर हैं, जिनमें से आज सिर्फ विष्णु और सोमेश्वर का मंदिर ही सही हालत में हैं। यहां मौजूद सभी मंदिरों में से सोमेश्वर मंदिर सबसे बड़ा है।

किराडू (Kiradu Temple Of Rajasthan) को राजस्थान का खजुराहों भी कहा जाता है। लेकिन किराडू को खजुराहो जैसी ख्याति नहीं मिल पाई क्योकि यह जगह पिछले 900 सालों से वीरान है। मजेदार बात ये है कि नकरात्मक ऊर्जा के बारे में आज तक कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं।

बेमिसाल अतीत की कहानियां सुनाते पत्‍थर

ऐसी मान्यता है कि विष्णु मंदिर से ही यहां के स्थापत्य कला की शुरुआत हुई थी और सोमेश्वर मंदिर को इस कला के उत्कर्ष का अंत माना जाता है। किराडू के मंदिरों का शिल्प है अद्भुत- स्थापत्य कला के लिए मशहूर इन प्राचीन मंदिरों को देखकर ऐसा लगता है मानो शिल्प और सौंदर्य के किसी अचरज लोक में पहुंच गए हों। पत्थरों पर बनी कलाकृतियां अपनी अद्भुत और बेमिसाल अतीत की कहानियां कहती नजर आती हैं।

जैसे बोल पड़ेंगी ये मुर्तियां‍

खंडहरों में चारो ओर बने वास्तुशिल्प उस दौर के कारीगरों की कुशलता को पेश करती हैं। नींव के पत्थर से लेकर छत के पत्थरों में कला का सौंदर्य पिरोया हुआ है। मंदिर के आलंबन में बने गजधर, अश्वधर और नरधर, नागपाश से समुद्र मंथन और स्वर्ण मृग का पीछा करते भगवान राम की बनी पत्थर की मूर्तियां ऐसे लगती हैं कि जैसे अभी बोल पड़ेगी। ऐसा लगता है (Arti Singh Tanwar) मानो ये प्रतिमाएं शांत होकर भी आपको खुद के होने का एहसास करा रही है।

सोमेश्‍वर मंदिर के बारे में

सोमेश्वर मंदिर भगवान् शिव को समर्पित है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर की बनावट दर्शनीय है। अनेक खंभों पर टिका यह मंदिर भीतर से दक्षिण के मीनाक्षी मंदिर की याद दिलाता है, तो इसका बाहरी आवरण खजुराहो के मंदिर का अहसास कराता है। काले व नीले पत्थर पर हाथी- घोड़े व अन्य आकृतियों की नक्काशी मंदिर की सुन्दरता में चार चांद लगाती है। मंदिर के भीतरी भाग में बना भगवान शिव का मंडप भी बेहतरीन है।

सुखद अनुभव है इनका दर्शन

किराडू (Kiradu Temple Of Rajasthan) शृंखला का दूसरा मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर सोमेश्वर मंदिर से छोटा है किन्तु स्थापत्य व कलात्मक दृष्टि से काफी समृद्ध है। इसके अतिरिक्त किराडू के अन्य 3 मंदिर हालांकि खंडहर में तब्दील हो चुके हैं, लेकिन इनके दर्शन करना भी एक सुखद अनुभव है। यदि सरकार और पुरातत्व विभाग किराडू के विकास पर ध्यान दे तो यह जगह एक बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकती है।

 

यह भी पढ़ें- क्या है इस मंदिर में स्थित गणेश जी के मूर्ति की खासियत? जानें मंदिर से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

 

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