Sonia Gandhi Birthday : सोनिया गांधी राजनीति का बड़ा चेहरा हैं। भले ही अब वह राजनीति में सक्रीय नहीं है, लेकिन सोनिया गांधी का नाम भारतीय जनमानस के बीच अमिट छाप रखती है। 80 के दशक के बाद से भारतीय राजनीति में अपना दमखम झोंक दिया। इंदिरा गांधी के वंश को आज भी सम्मानित रखने वाली गांधी परिवार की बहू सोनिया गांधी आज अपना 77वां जन्मदिन मना रही हैं। राजनीति के साथ-साथ सोनिया गांधी का निजी जीवन भी किसी फिल्मी प्रेम कहानी से कम नहीं है। सोनिया गांधी और राजीव गांधी की लव स्टोरी खुद में एक दिलचस्प किस्सा है…
शादी से पहले वेट्रेस थी सोनिया गांधी
1964 में सोनिया गांधी कैंब्रिज में बेल एजुकेशनल ट्रस्ट के भाषा स्कूल में पढ़ रही थी। वह फ्लाइट अटेंडेंट बनना चाहती थी। उस दौरान राजीव गांधी भी कैंब्रिज में ही थे। ठीक अगले साल उनकी मुलाकात राजीव गांधी से वर्सिटी रेस्तरां में हुई, जहां वह अंशकालिक वेट्रेस के रूप में काम कर रही थीं। क्योंकी राजीव गांधी भी कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में इंजीनियरिंग की डिग्री के लिए नामांकित थे। यहीं से सोनिया और राजीव गांधी की लव स्टोरी की शुरुआत हुई थी।
अपनी प्रेम कहानी का खुद किया जिक्र
राजीव गांधी से दिलचस्प मुलाकात का जिक्र खुद सोनीया गांधी ने पत्रिका टाइम्स, लंदन में किया था। जिसमें लिखा था, “श्रीमती गांधी 1965 में कैम्ब्रिज के एक छोटे से भाषा कॉलेज में 18 वर्षीय छात्रा थीं, जब उनकी मुलाकात एक सुंदर युवा इंजीनियरिंग छात्र से हुई।”
लव मैरिज के खिलाफ थे सोनिया के पिता

1968 में हिंदू रिवाज़ से हुई थी शादी

सोनिया हैं एक बेहतर मां
सास लुटाती थी सोनिया पर प्यार

पति और सास की हत्या ने तोड़ दिया था
शादी के बाद सोनिया और राजीव की जिंदगी के शुरुआती 13 साल कई सियासी उतार-चढ़ावों से होकर गुजरे। पहले विमान दुर्घटना में संजय गांधी की मौत, उसके बाद इंदिरा गांधी की हत्या और सात साल बाद 21 मई, 1991 को राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली में हत्या हो गई। पति की हत्या के बाद सोनिया गांधी की जिंदगी पूरी बदल गई। मगर सोनिया ने एक पत्नी, एक बहू और मां की जिम्मेदारी निभाती रहीं। उन्होंने सास और पति की राजनीतिक विरासत को टूटने नहीं दिया और खुद के कंधे पर सियासी भार ले लिया।
हत्या के डर से ठुकरा था दिया पीएम पद
राजनितिक सफ़र की बात करें तो सोनिया गांधी सबसे लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष रहीं। 1998 से 2017 तक लगातार 19 साल और फिर 2019 से 2022 तक चार साल वह इस पद पर रहीं। यानी बीच में दो साल की छोटी अवधि को छोड़ दिया जाए तो करीब ढाई दशक तक पार्टी उनकी ही अध्यक्षता में चली। सोनिया गांधी ने पति, सास और देवर की हत्या देखने के बाद प्रधानमंत्री के पद को ठुकरा दिया था। यहां तक उन्होंने अपने बेटे राहुल गांधी को भी प्रधानमंत्री या अन्य पद पर नहीं बैठने दिया। जिससे साफ है कि आज भी सोनिया गांधी के मन से परिवार की हत्या का दर्द नहीं कम हुआ।
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