Author: Jyoti Mishra Published Date: 30/12/2023
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लोग नए साल का इंतजार कर रहे हैं और नए साल आने में अब चंद घंटे की देरी है. दुनिया भर में नववर्ष की तैयारी धूमधाम से हो रही है.
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पूरे विश्व में नया साल मनाने अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. नया साल किसी बड़े उत्सव सेकम नहीं होता, जिसे लोग अपनी-अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों के मनाते हैं.
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दुनिया के ज्यादातर देशों में ईसाई नव वर्ष मनाए जाने की परंपरा रही है. ईसाई वर्ष 1 जनवरी से शुरू होकर 31 दिसंबर तक 12 महीनों में बंटा हुआ है.
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क्या आप जानते हैं कि भारत में एक नहीं बल्कि 5 बार नया साल मनाया जाता है. जी हां भारत में अलग-अलग धर्म के लोग अलग-अलग तिथियां पर नया साल मनाते हैं.
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सबसे पहले बात करते हैं ईसाई नववर्ष की. 1 जनवरी से नए साल मनाए जाने की शुरुआत 15 अक्टूबर 1582 से हुई थी.माना जाता है कि जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर बनाया. तभी से ईसाई नववर्ष मनाए जाने की परंपरा रही है.
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चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष का प्रारंभ माना जाता है. इसी दिन से नए संवत्सर की शुरूआत भी होती है. माना जाता है कि ब्रह्मा जी ने इसी दिन से सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी.
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पंजाब में नया साल वैशाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है. वैशाखी का ये त्योहार मार्च या अप्रैल के महीने में मनाया जाता है. इस दौरान तमाम गुरुद्वारों में मेलों का आयोजन किया जाता है.
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दीपावली के अगले दिन से जैन समुदाय के लोग अपना नववर्ष मनाते हैं.इसे वीर निर्वाण संवत भी कहा जाता है. इसी दिन से जैन अपना नया साल मनाते हैं.
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