Dharm Visesh: जाने क्यों रामायण में सीता जी को देनी पड़ी थी अग्नि परीक्षा ? बेहद रोचक है वजह

Dharm Visesh: हिंदू धर्म में रामायण से जुड़ी कई कहानियां सुनने को मिलती है. रामायण में माता सीता का अग्नि परीक्षा एक महत्वपूर्ण अध्याय है. माता सीता की अग्नि परीक्षा से लेकर कई बातें सुनने में आती है.

Dharm Visesh: रामायण की कथा आप सभी ने सुनी होगी. हिंदू धर्म में रामायण का बेहद महत्व है और लोग बहुत ही चाव से रामायण की कहानी सुनते हैं. रामायण में भगवान श्री राम और माता सीता के अटूट प्रेम और विश्वास की कहानी बताई गई है. भगवान श्री राम को 14 वर्ष वनवास का सजा मिला था जिसमें माता सीता और लक्ष्मण जी भी उनके साथ थे.

रामायण से जुड़ी कई कहानियां सुनने में मिलती है(Dharm Visesh )

वनवास के कठिन समय में लंका पति रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था जिसके वजह से राम और रावण के बीच युद्ध हुआ था. रामायण को लेकर कई तरह की कथाएं सुनने को मिलती है और इस दौरान माता सीता का अग्नि परीक्षा भी हुआ था.

प्रजा की मान रखने के लिए भगवान श्री राम ने ली थी अग्नि परीक्षा

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री राम कुमार यादव पुरुषोत्तम के नाम से जाना जाता है. एक राजा की तरह भगवान श्री राम ने अपनी प्रजा के लिए अपनी जिंदगी समर्पण कर दिया था. एक लंबे समय तक कैद में रहने के बाद जब माता सीता अयोध्या वापस आई थी तब प्रजा उनके पवित्रता पर संदेह करने लगी थी.

Also Read:Dharm Visesh: यह है दुनिया का सबसे बड़ा न्याय का मंदिर, भगवान शिव है यहां के जज, पूरी होती है सभी मनोकामनाएं

अयोध्या के लोगों का कहना था कि माता सीता लंबे समय तक रावण के कैद में थी और उनके पवित्रता का कोई प्रमाण नहीं है. जब श्री राम को यह बात पता चली तो उन्होंने प्रजा के कल्याण के लिए माता सीता को अग्नि परीक्षा देकर अपनी पवित्रता को साबित करने के लिए कहा और प्रभु की बात सुनकर माता-पिता अग्नि में समा गई.

अग्नि परीक्षा की थी यह वजह

पंडित प्रशांत मिश्रा का कहना है कि पद्म पुराण के अनुसार रामायण में एक नहीं बल्कि दो सीता थी. पहले सीता असली थी और दूसरी माया की सीता थी. लक्ष्मण जी जब कंदमुल्ले ने बन गए थे तब भगवान श्री राम ने माता-पिता से कहा कि अब मैं नरलीला करूंगा और जब मैं राक्षसों का विनाश करूंगा तब तक आप अग्नि में निवास करें.

ऐसा कह कर माता सीता को उन्होंने अग्नि के हवाले कर दिया और जब अपहरण हुआ तो वह माया की सीता थी. जब अग्नि परीक्षा हुआ तो माया की सीता अग्नि में समा गई और असली सीता वापस आई. अग्नि परीक्षा का एक यही कारण था.

माता सीता करती थी अग्नि देव की पूजा

पद्म पुराण के अनुसार माता सीता अग्नि देव की बहुत बड़ी भक्त थी और उन्हें कोई अग्नि परीक्षा नहीं देनी पड़ी ना ही उन्हें वनवास जाना पड़ा था. राम भी माता सीता के इन दोनों रूपों के बारे में जानते थे क्योंकि यह उन्हीं के द्वारा रचित था. त्रेता युग में यह धारणा थी कि अगर कोई व्यक्ति सच्चा है तो अग्नि उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकती.

Also Read:Dharmendra 88th Birthday : इस फिल्म में धर्मेन्द्र ने एक्ट्रेस को गले लगाने के लिए खर्च किए थे हजारों रुपए

तमाम खबरों के लिए हमें Facebook पर लाइक करें Twitter , Kooapp और YouTube  पर फॉलो करें। Vidhan News पर विस्तार से पढ़ें ताजा-तरीन खबरे

- Advertisement -

Related articles

Share article

- Advertisement -

Latest articles