For Good Mental Health: सोशल मीडिया जहां वरदान है वहां अभिशाप भी, सिक्के के दो पहलू की तरह हमें इसकी पॉजिटिव साइट्स दिखती है और नेगेटिव साइट पर ध्यान नहीं जाता है। आज हम इन सोशल मीडिया साइट के इतने अडिक्टेट्ड हो गए है कि बस पूरे दिन दिमाग को चोक करके रखते हैं, इस साइट्स पर ही दिमाग लगाकर रखते है, पर इससे आपको कई हॉनियां पहुचंती है, चलिए जानते हैं..
दूसरों से करने लगें है तुलना
सुबह की शुरुआत हो या दिनभर के छोटे-छोटे ब्रेक. हम गैप को हम सोशल मीडिया पर एक्टिव होकर भर देते हैं लेकिन इस आदत में हम जाने-अनजाने खुद की दूसरों से तुलना करने लगते हैं। दूसरों से अपनी तुलना करने से क्रोध और हताशा से लेकर असंतोष तक मिश्रित भावनाओं में खुद को डूबा हुआ महसूस करते हैं। हम सभी ये महसूस नहीं कर पाते कि हम सोशल मीडिया पर जो देखते हैं वह वास्तविकता का एक अंश है ना कि संपूर्ण सत्य और ये भावनाएं हमारे दिमाग पर असर डालने लगती हैं। कुछ आदतें इस बात का इशारा करती हैं कि आपके लिए सोशल मीडिया से ब्रेक लेना अब जरूरी हो गया है
असंतोष करता है पैदा
आप सोशल मीडिया पर जो कुछ भी देखते हैं उससे अपनी तुलना करते जा रहे हैं, तो ये आपके जीवन में असंतोष बढ़ाता है, आपको कभी भी संतुष्ट नहीं होने देता है ब्लकि सोच ये होनी चाहिए कि जो है जितना मिला है वो काफी है।
कुछ मिसिंग है शायद
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से इतनी अधिक अव्यवस्था और अतिरिक्त जानकारी के साथ, FOMO का शिकार आसानी से बना जा सकता है। बार-बार ये सोचते रहने पर कि दूसरे लोगों को क्या मिला है और हमें नहीं तो ये ब्रेक लेने का समय है।
जीवन पर बुरा प्रभाव
जब आप सोशल मीडिया पर इतने व्यस्त और आसानी से विचलित होने लगते हैं कि इसका असर आप से जुड़े रिश्तों पर या आपके काम पर पड़ने लगता है तो ब्रेक लेना महत्वपूर्ण हो जाता है।
सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करना एक ऐसी बुरी आदत बन जाती है कि आप बार-बार अपना फोन चेक करते रहते हैं और आपको इसका एहसास भी नहीं होता है। तो आपको कुछ समय के लिए सोशल मीडिया से ब्रेक लेना जरूरी है।
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