Budget 1947: आज मोदी सरकार अपनी कार्यकाल का अंतरिम बजट पेश कर रही है। जिसको लेकर बीते कई दिनों से तैयारी चल रही थी। लेकिन क्या कभी अपने सोचा है कि बजट को इतनी गोपनीयता क्यों बरती जाती है। अगर यह लीक हो जाए तो क्या होगा और बजट को लेकर आखिर इतनी सख्ती क्यों ? तो आपको बता दें कि केंद्रीय बजट तैयार करने के लिए काफी लंबी तैयारी की जाती है। साथ ही इसे काफी गोपनीय तरीके से रखा जाता है। इतना ही नहीं बजट तैयार करने वाले अधिकारियों को क्वारंटाइन भी रखा जाता है। बजट से जुड़े किसी भी बयान को रोकने के लिए सख्त व्यवस्था रखी जाती है।
क्या होता है जब लीक हो जाए बजट ?
क्या आप जानते हैं कि बजट पेश होने से पहले गुप्त रखा जाता है। अगर बजट लीक हो जाता है तो अधिकारियों की पूरी टीम को क्वारेंटाइन कर दिया जाता है। अधिकारियों के बीच न तो आपस में कोई बातचीत होती है और न ही बाहरी किसी इंसान से संपर्क होता है। दरअसल कई साल पहले बजट लीक हो गया था, जिससे तत्कालीन सरकार को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
कैसे लीक हुआ था पहला बजट ?
आजाद भारत का पहला बजट (1947-1948) उस समय के तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री सर आरके शनमुखम चेट्टी घोषित करने वाले थे। वह ब्रिटिश समर्थक जस्टिस पार्टी की अगुवाई कर रहे थे। ब्रिटेन के राजकोष के चांसलर ह्यूग डाल्टन ने बजट से कुछ समय पहले एक पत्रकार को बजट से जुड़ी जानकारी दे दी थी। यह जानकारी भारत द्वारा प्रस्तावित टैक्स में बदलावों को लेकर थी। यह संसद में बजट भाषण से पहले ही लीक हो गयी थी। इसके बाद इस पूरे मामले ने इतना तूल पकड़ा कि डाल्टन को बाद में अपना पद तक छोड़ना पड़ा था।
1950 में लीक हुआ था दूसरा बजट
इसके बाद कई सालों तक बजट की सुरक्षा का ध्यान रखा गया। लेकिन साल 1950 में एक बार फिर केंद्रीय बजट लीक हो गया था। उस समय जॉन मथाई वित्तमंत्री थे। यह बजट राष्ट्रपति भवन में छपाई के लिए गया था। उसी दौरान बजट का एक हिस्सा लीक हो गया। इसके बाद इस मामले में तूल पकड़ा तो बजट की छपाई राष्ट्रपति भवन के बजाय नई दिल्ली के मिंटो रोड पर स्थानांतरित कर दी गयी।
इन लोगों को किया जाता है क्वारंटाइन
वित्त मंत्रालय के कर्मचारियों के अलावा, जिन लोगों को क्वारंटाइन कर बजट की तैयारी में लगाया जाता है, उनमें कानून मंत्रालय के कानूनी विशेषज्ञ, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अधिकारी और केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के अधिकारी भी इस टीम में शामिल होते हैं।
हलवा समारोह क्या है ?
बजट की तैयारी शुरू होने से पहले ही पारंपरिक हलवा समारोह का आयोजन किया गया जाता है। इसके बाद इसकी लॉक-इन अवधि शुरू हो जाती है। इसमें वित्त मंत्रालय के दफ्तर में कम से कम सौ अधिकारी होते हैं, जो कम से कम दस दिनों से कार्यरत रहते हैं। इस समय उन्हें अपने परिवार से और बाहर से कोई संपर्क नहीं रखना होता है। यदि इस दौरान कोई इमरजेंसी स्थिति होती है तो, इन अधिकारियों के परिवार उन्हें एक विशिष्ट नंबर पर संदेश छोड़ सकते हैं। लेकिन बातचीत नहीं कर सकते हैं। अधिकारियों से सिर्फ वित्त मंत्री ही मिल सकते हैं। बजट निर्माण का कार्य हलवा के साथ शुरू होता है, इसमें मिठाई बांटने वाले अधिकारी के बाद में काम में लग जाते हैं।
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