Puja Prasad Bhog Ke Niyam : भगवान को प्रसाद अथवा भोग चढ़ाएं तो इस नियम का जरूर रखें ध्यान

Puja Prasad Bhog Ke Niyam: पूजा के दौरान भगवान को चढ़ाया गया प्रसाद कितनी देर बाद ग्रहण करना चाहिए, इस संबंध में कई अवधारणाएं हैं। जिनका जातकों को जरूर ध्यान रखना चाहिए।

Puja Prasad Bhog Ke Niyam : एक समय की बात है, एक गांव में एक पुरानी मंदिर था। यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध था और अपनी महिमा के लिए जाना जाता था। इस मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति स्थापित थी और भक्तों द्वारा उनकी पूजा-अर्चना की जाती थी। एक दिन एक बच्चा मंदिर में पूजा के समय पहुंचा। उसे इसके बारे में कुछ नहीं पता था, लेकिन उसने यह सुना था कि भगवान को चढ़ाया गया भोग कितनी देर बाद हटा लेना चाहिए। वह देखने के लिए बहुत उत्सुक था।

जब वह वहां पहुंचा, तो उसने देखा कि एक पुजारी भगवान की पूजा कर रहा था। वह भोग रख रहा था और आरती कर रहा था। बच्चा ने ध्यान दिया कि जब आरती समाप्त हो गई, तब पुजारी ने उस भोग को छोड़ दिया और उसे भगवान की मूर्ति के सामने ही रखा छोड़ दिया। बच्चा यह देखकर हैरान रह गया। वह सोचने लगा कि क्या यह सही है। क्या भगवान को बाद में हटाया जाना चाहिए था? यह उसे समझ नहीं आया।

बच्चा ने इस मुद्दे पर कुछ विचार किये और अपने गुरुजन से सलाह मांगने के लिए जाने लगा। उसने अपने गुरुजन को इस विषय पर प्रश्न पूछा और उन्हें यह समझने के लिए प्रश्न किया कि भगवान को अर्पित किया गया प्रसाद कितनी देर बाद ग्रहण करना चाहिए।

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उनके गुरुजन ने कहा, ‘बच्चा, यह एक रोचक सवाल है। हालांकि, हमें यह सोचते रहना चाहिए कि प्रत्येक देवी-देवता की पूजा करते समय हम क्या उद्देश्य रखते हैं। कुछ उपासक अपने मनोबल बढ़ाने के लिए पूजा करते हैं, तो कुछ अन्य अपने भावनात्मक जीवन के लिए प्रार्थना करते हैं। इसलिए, उत्तर इस प्रकार है कि जितनी देर तक आप पूजा और अर्चना करते हैं, उतनी देर तक प्रसाद को भगवान के सामने ही रखे रहने दें। जब पूजा और आरती समाप्त हो जाए, तब आप प्रसाद को ग्रहण कर सकते हैं।’

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बच्चा इस उत्तर को सुनकर संतुष्ट हुआ। उसने धन्यवाद कहा और घर लौट गया। इस घटना ने उसे यह सिखाया कि हमें भगवान की पूजा और आराधना करते समय अपने मन, भावनाओं और उद्देश्य पर ध्यान देना चाहिए। हमें भगवान के समर्पण और आदर्शों का पालन करना चाहिए।

यह गाथा हमें यह भी सिखाती है कि हमें हर एक उपास्य देवता और उनके आदर्शों के साथ सम्मान और सहजता के साथ आदर्शी रूप से आचरण करना चाहिए। हर एक देवी-देवता को अपने अलग-अलग भोग का ग्रहण करने के नियम और समय होता है, जिसे हमें पालन करना चाहिए।

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इस प्रकार, भगवान की पूजा में नियमों और आदर्शों का पालन करना हमें सच्चे आनंद और शांति का अनुभव कराता है। हमें अपने मन, भावनाओं, और अपने कर्मों को पवित्र बनाने के लिए भगवान की पूजा के समय ध्यान देना चाहिए। इस तरह से, हम सच्ची आनंदमय और समृद्ध जीवन जी सकते हैं।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। vidhannews.in इसकी पुष्टि नहीं करता है। ऐसे में किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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