
Chhath Puja 2025: भारत में मनाए जाने वाले सबसे प्राचीन और पवित्र पर्वों में से एक छठ पूजा की धार्मिक और पौराणिक मान्यता अत्यंत विशेष मानी जाती है। इस पर्व में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है। श्रद्धालु मानते हैं कि इस व्रत से परिवार में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। लेकिन बहुत से लोगों के मन में सवाल होता है — “आख़िर छठ पूजा क्यों मनाई जाती है और इसकी शुरुआत सबसे पहले किसने की थी?”
सूर्य देव और छठी मैया की उपासना (Chhath Puja 2025)
छठ पूजा में सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया जाता है क्योंकि सूर्य को ऊर्जा, स्वास्थ्य और जीवन का स्रोत माना गया है। मान्यता है कि सूर्य की उपासना से रोगों का नाश होता है और परिवार पर ईश्वरीय कृपा बनी रहती है। सूर्य देव की बहन छठी मैया को इस पर्व में विशेष रूप से पूजते हैं।
सबसे पहले किसने की थी छठ पूजा?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, छठ पूजा की शुरुआत कुंती ने की थी। जब वह पांडवों की माता बनीं, तो उन्होंने सूर्य देव की आराधना कर पुत्र की प्राप्ति के लिए छठ व्रत किया था। इसके बाद उनके पुत्र कर्ण भी सूर्य देव के परम भक्त बने और उन्होंने जीवनभर सूर्य की उपासना की।
इसके अलावा एक और कथा के अनुसार, राजा प्रियव्रत को संतान सुख प्राप्त करने के लिए छठी मैया की आराधना करने का सुझाव दिया गया था। उन्होंने छठ व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। तभी से यह पर्व संतान सुख और परिवार की समृद्धि के लिए विशेष रूप से मनाया जाने लगा।
धार्मिक और सामाजिक महत्व
छठ पूजा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और सामूहिक सहयोग की भावना को भी बढ़ावा देता है। इस पर्व में लोग नदियों और तालाबों की सफाई करते हैं और पूरे समुदाय के साथ पूजा-अर्चना करते हैं।
छठ पूजा को बिहार का महापर्व कहा जाता है और इस त्यौहार को मुख्य रूप से यूपी बिहार झारखंड में मनाया जाता है। हालांकि आज के समय में पूरे देश में छठ पूजा का त्यौहार मनाया जा रहा है।
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