Daksheswar Mahadev Mandir: शिव शक्ति की कहानी तो आपने जरूर सुना होगा। माता सती अपने पिता राजा दक्ष के अपमान के बाद आत्मदाह कर ली थी।दक्षेश्वर महादेव मंदिर हरिद्वार के कनखल में बसा हुआ है और यही वह जगह है जहां माता सती हमेशा के लिए भगवान शिव से दूर हो गई थी। इस मंदिर का निर्माण रानी दनकौर ने करवाया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में दर्शन करने से पितृ दोष दूर होता है।
Daksheswar Mahadev Mandir : यहां माता सती ने किया था आत्मदाह
दक्षेश्वर महादेव मंदिर (Daksheshwar Mahadev Mandir) महादेव का एक प्रमुख धाम माना जाता है और यह मंदिर पूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित है। यह हरिद्वार के कनखल में स्थित है और इस पवित्र स्थल का दर्शन करने से पितृ दोष दूर होती है। इस पवित्र स्थल का नाम माता सती के पिता राजा दक्ष के नाम पर रखा गया है। यहां पर महादेव के साथ राजा दक्ष की भी पूजा होती है। इस मंदिर का निर्माण 1810 में रानी धनकौर के द्वारा करवाया गया।
यहां पूजा करने से दूर होता है पितृ दोष
ऐसी मान्यता है कि इस धाम में पूजा-पाठ और दर्शन करने से भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं। साथ ही कुंडली से पितृ दोष का प्रभाव धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है।
इस स्थान पर माता सती ने त्यागे थे अपने प्राण
पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया था जिसमें उन्होंने सभी देवी देवताओं को नेता दिया था। लेकिन इस यज्ञ में माता सती और भगवान शिव को न्योता नहीं मिला था लेकिन पिता का यज्ञ समझकर बिन बुलाए ही माता सती पिता के घर चली गई।
पिता द्वारा पति का अपमान होने पर देवी ने यज्ञ की अग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए थे, जिसका प्रमाण आज भी इस धाम में मिलता है। दरअसल, वह यज्ञ कुण्ड आज भी मंदिर में अपने स्थान पर मौजूद है।
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