
Dakshineshwar Kali Mandir: देश में एक से बढ़कर एक चमत्कारी मंदिर है जहां बड़े पैमाने पर बहुत दर्शन के लिए जाते हैं। आज हम आपको बंगाल के 100 साल पुराने चमत्कारी काली मंदिर के बारे में बताएंगे। इस मंदिर की कलाकृति बेहद खूबसूरत है और बड़े पैमाने पर भक्त इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। इस काली मंदिर का नाम दक्षिणेश्वर काली मंदिर है।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर की कहानी बहुत ही रोचक और पौराणिक है। इस मंदिर का निर्माण 19वीं सदी में रानी रश्मोनी ने करवाया था, जो एक धार्मिक और सामाजिक कार्यकर्ता थीं।
रानी रश्मोनी की कहानी (Dakshineshwar Kali Mandir)
रानी रश्मोनी एक धनी और प्रभावशाली महिला थीं, जो कोलकाता के पास के एक गांव में रहती थीं। वह एक धार्मिक और परोपकारी व्यक्ति थीं, जो गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने में हमेशा तैयार रहती थीं।
एक दिन, रानी रश्मोनी ने एक सपना देखा, जिसमें देवी काली ने उन्हें एक मंदिर बनाने का आदेश दिया। देवी ने कहा कि वह एक विशिष्ट स्थान पर मंदिर बनवाना चाहती हैं, जो गंगा नदी के किनारे स्थित होगा।
मंदिर का निर्माण
रानी रश्मोनी ने देवी के आदेश का पालन किया और गंगा नदी के किनारे एक विशाल और सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया। इस मंदिर में देवी काली की मूर्ति स्थापित की गई और इसका नाम दक्षिणेश्वर काली मंदिर रखा गया।
मंदिर का महत्व
दक्षिणेश्वर काली मंदिर जल्द ही एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन गया, जहां लोग देवी काली की पूजा करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते थे। यह मंदिर अपनी विशाल संरचना और सुंदर वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, और यह कोलकाता के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस का संबं
दक्षिणेश्वर काली मंदिर का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह स्वामी रामकृष्ण परमहंस के जीवन से जुड़ा हुआ है। स्वामी रामकृष्ण परमहंस एक महान आध्यात्मिक गुरु थे, जिन्होंने इस मंदिर में देवी काली की पूजा की और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया।
आज, दक्षिणेश्वर काली मंदिर एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहां लोग देवी काली की पूजा करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं। यह मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
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