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Dhanteras 2025: धनतेरस के दिन एक दीपदान से पलट सकती है किस्मत, बरसेगी मां लक्ष्मी की अपार कृपा, जानिए इसका महत्व

Dhanteras 2025: धनतेरस पर दीपदान करना सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि आस्था और शुभता का प्रतीक है। जानें यम दीपदान की कथा, धार्मिक महत्व और दीपदान की सही विधि ताकि आपके घर में बरसे मां लक्ष्मी की विशेष कृपा।

Dhanteras 2025
Dhanteras 2025

Dhanteras 2025:  धनतेरस का पर्व दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है और यह दिन हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन भगवान धनवंतरि, मां लक्ष्मी और कुबेर देव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। जहां एक ओर लोग इस दिन सोना-चांदी या बर्तन खरीदना शुभ मानते हैं, वहीं दूसरी ओर दीपदान करने की परंपरा भी सदियों से चली आ रही है। दीपदान न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।

दीपदान का धार्मिक महत्व (Dhanteras 2025)

धनतेरस की शाम को घर के बाहर, आंगन, मंदिर, तुलसी के पौधे और मुख्य द्वार पर दीये जलाए जाते हैं। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, दीपक अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। माना जाता है कि दीप जलाने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।

इस दिन दीपदान करने की विशेष परंपरा का संबंध मृत्यु के देवता यमराज से भी है। मान्यता है कि धनतेरस की रात यमराज के लिए एक दीपक जलाकर घर के बाहर रखा जाता है। इसे ‘यम दीपदान’ कहा जाता है। ऐसा करने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

यम दीपदान की कथा

प्राचीन कथा के अनुसार, एक राजा के पुत्र की विवाह के चौथे दिन मृत्यु का योग बना था। उसकी पत्नी ने यमराज को रोकने के लिए घर के द्वार पर ढेर सारे दीये जलाकर एक दीपों का समुद्र बना दिया। जब यमराज आए तो उन्हें दीपों की रोशनी ने चकाचौंध कर दिया और उन्होंने पुत्र की प्राण लेने के बजाय वहां से लौट जाने का निर्णय लिया। तभी से धनतेरस की रात यम दीपदान की परंपरा शुरू हुई। माना जाता है कि यह दीपक घर में आने वाली बुरी शक्तियों और अकाल मृत्यु को दूर रखता है।

आध्यात्मिक दृष्टि से दीपदान का महत्व

दीपक केवल रोशनी का प्रतीक नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा और आशा का भी प्रतीक है। धनतेरस पर जब हर घर में दीपक जलता है तो वातावरण में एक अद्भुत ऊर्जा और शुद्धता फैलती है। इससे मन और घर दोनों में सकारात्मकता आती है। कई ज्योतिषाचार्य भी मानते हैं कि धनतेरस पर दीपदान करने से घर में लक्ष्मी का स्थायी वास होता है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

दीपदान करने के नियम और विधि

धनतेरस की शाम सूर्यास्त के बाद एक मिट्टी का दीपक सरसों या तिल के तेल से जलाएं और घर के मुख्य द्वार पर रखें। दीपक की लौ दक्षिण दिशा की ओर होनी चाहिए क्योंकि यमराज को दक्षिण दिशा का स्वामी माना गया है। इसके साथ ही घर में अन्य जगहों पर भी दीप जलाएं ताकि रोशनी और सकारात्मकता का वातावरण बन सके।

धनतेरस पर दीपदान केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक गहरी आस्था और विश्वास का प्रतीक है। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और आज भी इसका महत्व उतना ही गहरा है जितना पहले था। दीपदान से न केवल नकारात्मकता दूर होती है बल्कि घर में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति का वास होता है।

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