Dharm Visesh: हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं का कोई न कोई पशु-पक्षी वाहन अवश्य होता है। उसी प्रकार देवी लक्ष्मी जिन्हें धन, वैभव, सुख और शांति का प्रतीक माना जाता है। उनका वाहन उल्लू है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता लक्ष्मी ने उल्लू को ही अपने वाहन के रूप में क्यों स्वीकार किया। ऐसे में आइए जानते हैं क्या है इससे जुड़ी पौराणिक कथा।
क्यों उल्लू बना माता लक्ष्मी की सवारी (Dharm Visesh)
उल्लू काफी क्रियाशील प्रवृत्ति का पक्षी होता है। अपने भोजन की तलाश में निरंतर वह कार्य करता रहता है। उल्लू अपने कार्य को पूरी लगन और आस्था के साथ करता है। उल्लू का लक्ष्मी जी के वाहन के रूप में होना यह संदेश देता है कि जो व्यक्ति दिन रात मेहनत करता है, मां लक्ष्मी सदैव उन पर कृपा बरसाती हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब धरती पर जीवन की शुरुआत हुई तब सभी देवी-देवता अपने वाहनों का चुनाव कर रहे थे। उस वक्त जब माता लक्ष्मी धरती पर अपना वाहन चुनने के लिए आईं, तो सभी पशु-पक्षियों ने उन्हें अपना वाहन चुनने का आग्रह किया। यह देखकर माता लक्ष्मी ने कहा कि वह कार्तिक मास की अमावस्या में धरती पर विचरण करती हैं। उस वक्त जो पशु-पक्षी उन तक सबसे पहले पहुंचेगा, वह उसे ही अपना वाहन चुनेंगी।
अमावस्या की रात बहुत ही अंधेरी रात होती है, जिसमें सभी पशु-पक्षियों को कम दिखाई देता है। जब माता धरती पर आईं, तब उल्लू ने सबसे पहले उन्हें देख कर उनके पास पहुंच गया। क्योंकि मात्र उल्लू एक ऐसा पक्षी है, जिसे रात में दिखाई देता है। उसके इसी गुण से प्रसन्न होकर माता ने उल्लू को अपनी सवारी के रूप में चुना इसी के बाद से माता लक्ष्मी को उलूक वाहिनी भी कहा जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, क्यों है उल्लू इतना खास
उल्लू भारतीय संस्कृति में शुभता और धन संपत्ति का प्रतीक माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, उल्लू सबसे बुद्धिमान प्रवृत्ति का निशाचर प्राणी है। उल्लू को भूत और भविष्य सबका ज्ञान पहले से ही होता है। मान्यताओं के अनुसार, दीपावली की रात उल्लू को देखना घर में लक्ष्मी के आगमन का सूचक माना जाता है।
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