Diwali 2025: दिवाली की रात मां लक्ष्मी की आरती क्यों नहीं की जाती? जानिए छुपा हुआ रहस्य!

Diwali 2025: शास्त्रों में कहा गया है कि दिवाली की रात मां लक्ष्मी दीपों की रोशनी का अनुसरण करती हैं। इस दिन घर के हर कोने में दीये जलाने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि दीपक की लौ ही देवी की पूजा का सबसे पवित्र रूप है, इसलिए इस दिन आरती करने की आवश्यकता नहीं मानी जाती।

Diwali 2025: दीवाली का पर्व धन, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी का विशेष पूजन किया जाता है ताकि घर में धन-धान्य की वर्षा हो और नकारात्मक ऊर्जा का नाश हो। लोग इस दिन देवी की पूजा, मंत्र जाप और दीप प्रज्वलन करते हैं। लेकिन एक प्रचलित मान्यता के अनुसार — दिवाली की रात मां लक्ष्मी की आरती नहीं करनी चाहिए।

कई लोगों के मन में यह सवाल होता है कि जब आरती देवी की भक्ति का प्रतीक है, तो फिर दिवाली की रात ऐसा क्यों कहा जाता है। आइए जानते हैं इसके पीछे का धार्मिक और पारंपरिक कारण

1. मां लक्ष्मी को ‘आमंत्रित’ किया जाता है, ‘प्रस्थान’ नहीं (Diwali 2025)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दिवाली की रात मां लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और जहां स्वच्छता, दीप प्रज्वलन और श्रद्धा होती है, वहां निवास करती हैं। इस दिन पूजा के दौरान देवी को घर में आमंत्रित किया जाता है।
आरती को पारंपरिक रूप से “देवी को विदा करने” का प्रतीक माना गया है। इसलिए इस विशेष रात आरती करने से ऐसा समझा जाता है मानो देवी को वापस भेज दिया जा रहा हो।

2. दीप जलाना ही सबसे बड़ा पूजन माना गया है

शास्त्रों में कहा गया है कि दिवाली की रात मां लक्ष्मी दीपों की रोशनी का अनुसरण करती हैं। इस दिन घर के हर कोने में दीये जलाने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि दीपक की लौ ही देवी की पूजा का सबसे पवित्र रूप है, इसलिए इस दिन आरती करने की आवश्यकता नहीं मानी जाती।

3. शांति और स्थिरता बनाए रखना शुभ होता है

आरती के दौरान शंख, घंटी और जयघोष किया जाता है, जिससे माहौल में कंपन और गति आती है। जबकि दिवाली की रात मां लक्ष्मी को शांति और स्थिरता प्रिय होती है। इसलिए इस समय घर का वातावरण शांत, सुगंधित और प्रकाशमय रखना अधिक शुभ माना गया है।

4. पारंपरिक मान्यता – देवी लक्ष्मी ठहरती हैं जहां शांति होती है

लोककथाओं और परंपराओं में कहा गया है कि मां लक्ष्मी का निवास वहीं होता है जहां अनुशासन, स्वच्छता और शांति हो। अधिक शोर-शराबा और आरती से उत्पन्न हलचल से देवी आगे बढ़ सकती हैं। इसलिए दिवाली की रात विशेष रूप से आरती न करने की परंपरा कुछ घरों में प्रचलित है।

मां लक्ष्मी की आरती दिवाली के अलावा अन्य दिनों में अवश्य की जा सकती है। दिवाली की रात देवी को आमंत्रित करने, दीप प्रज्वलन करने और घर को शांत व प्रकाशमय रखने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। अंततः — देवी को प्रसन्न करने का सबसे बड़ा साधन है सच्ची श्रद्धा और साफ-सुथरा मन।

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