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Diwali 2025: इस बार दिवाली पर 84 साल बाद बन रहा है महासंयोग, इन लोगों पर मेहरबान होगी मां लक्ष्मी, दूर होगी कंगाली

Diwali 2025: साल 1941 में दीवाली के दिन शिववास योग का संयोग बना था। वहीं, 2025 में दीवाली के दिन शिववास योग का संयोग बनेगा। वहीं, 1941 में चित्रा नक्षत्र का संयोग भी था। कुल मिलाकर कहें तो 84 साल बाद समान दिन, नक्षत्र और योग में दीवाली मनाई जाएगी।

Diwali 2025
Diwali 2025

Diwali 2025: सनातन धर्म में दिवाली के त्यौहार का विशेष महत्व है। हर साल कार्तिक अमावस्या तिथि पर दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। किस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से आर्थिक तंगी दूर होती है इसके साथ ही साथ घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। इस दिन आप नया कारोबार शुरू करते हैं तो कारोबार में खूब बढ़ोतरी होती है। इस साल का दिवाली बेहद खास है क्योंकि 84 साल बाद दिवाली पर महासंयोग बन रहा है। 1941 में ऐसा ही संयोग बना था इसके बाद 2025 में ऐसा संयोग बन रहा है। इस योग में मां लक्ष्मी की पूजा करने से दोगुना फल मिलेगा।

वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को शाम 3:44 से शुरू हो गया और 21 अक्टूबर को 5:01 पर अमावस्या की तिथि तक रहेगी। दिवाली का त्योहार मुख्य रूप से अमावस्या की तिथि को मनाया जाता है इसलिए इस साल 21 अक्टूबर को दिवाली का त्यौहार मनाया जाएगा।

पूजा का शुभ मुहूर्त (Diwali 2025)

कार्तिक अमावस्या तिथि यानी की दिवाली पर पूजा के लिए शुभ समय संध्या के समय 7:08 से लेकर 8:18 तक है। इस समय अगर आप मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं तो आपके जीवन की तंगी दूर होगी और जीवन में खुशहाली आएगी। इस साल का दिवाली खास है इसलिए आपको शुभ मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए। शुभ मुहूर्त में पूजा करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होंगी और जीवन की परेशानियां दूर करेंगी।

पंचांग

सूर्योदय: सुबह 06 बजकर 25 मिनट पर
सूर्यास्त: शाम 05 बजकर 46 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 44 मिनट से 05 बजकर 34 मिनट तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 01 बजकर 59 मिनट से 02 बजकर 45 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 05 बजकर 46 मिनट से 06 बजकर 12 मिनट तक
निशिता मुहूर्त: रात 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक
साल 1941 का पंचांग
वैदिक पंचांग गणना के अनुसार, साल 1941 में सोमवार 20 अक्टूबर को दीवाली मनाई गई थी। इस दिन अमावस्या का संयोग रात 08 बजकर 50 मिनट तक था। इसके बाद प्रतिपदा तिथि शुरू हुई थी। वहीं, पूजा का समय भी रात 08 बजकर 14 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 50 मिनट तक था।

साल 1941 में दीवाली के दिन शिववास योग का संयोग बना था। वहीं, 2025 में दीवाली के दिन शिववास योग का संयोग बनेगा। वहीं, 1941 में चित्रा नक्षत्र का संयोग भी था। कुल मिलाकर कहें तो 84 साल बाद समान दिन, नक्षत्र और योग में दीवाली मनाई जाएगी।

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