Mangalsutra: हिंदू धर्म में मंगलसूत्र का इतिहास बहुत ही ज्यादा पुराना है. इसकी मान्यता पौराणिक कथा कहानियों में सुनने को मिलती है. मंगलसूत्र का संबंध मां पार्वती और शिवजी से जुड़ा हुआ है. अभी कुछ समय पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में मंगलसूत्र का जिक्र किया जिसके बाद यह चर्चा में आ गया.
हर सुहागन महिला को मंगलसूत्र के बारे में जानना चाहिए और इसके महत्व को समझना चाहिए. हिंदू धर्म में मंगलसूत्र का खास महत्व है और यह एक आभूषण नहीं है बल्कि वैवाहिक जीवन का रक्षा कवच भी है.
मंगलसूत्र का अर्थ(Mangalsutra)
मंगलसूत्र दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें मंगल और सूत्र आता है. मंगल का अर्थ पवित्र होता है और सूत्र का अर्थ हार होता है यानी की पवित्र हार. विवाह के बाद सभी स्त्रियां मंगलसूत्र जरूर पहनती है. तो आईए जानते हैं मंगलसूत्र से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें.
मंगलसूत्र से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
हिंदू धर्म के अनुसार मंगलसूत्र की शुरुआत माता पार्वती और शिवजी से हुई थी. जब शिवजी का विवाह पार्वती से हो रहा था तब शिवजी को सती की याद आई. शिवजी को वह दृश्य याद आने लगा जब सती ने हवन में कूद कर अपनी जान दे दी. इसलिए भगवान शिव ने पार्वती की रक्षा के लिए पीले धागे में काले मोतियों का एक रक्षा सूत्र बांधा. इसलिए पीला भाग मां पार्वती और काले मोतियों को शिव का प्रतीक माना जाता है और इसके बाद हिंदू धर्म में मंगलसूत्र पहनने की परंपरा शुरू हो गई.
मंगलसूत्र को वैवाहिक जीवन का रक्षा कवच कहा जाता है. मंगलसूत्र का जिक्र आदि गुरु शंकराचार्य की पुस्तक सौंदर्य लहरी में भी मिलता है.
मंगलसूत्र को लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित है. यह भी मानता है कि मंगलसूत्र में 9 मां के होते हैं जो की ऊर्जा का प्रतीक है और मां भगवती के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं.इन 9 मनको को पृथ्वी जल वायु अग्नि आदि का प्रतीक माना जाता है.
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