
Ganesh Chaturthi 2025 : गणपति की मूर्ति की स्थापना का सही तरीका और स्थान तय करना बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभता का प्रतीक माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, यदि मूर्ति की स्थापना सही दिशा और विधि से की जाए, तो न केवल घर में सुख-समृद्धि आती है, बल्कि जीवन में आने वाली बाधाएं भी दूर होती हैं। आइए जानते हैं गणपति की मूर्ति स्थापना के वास्तु नियम।
1. मूर्ति की दिशा का चयन(Ganesh Chaturthi 2025)
उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण): यह दिशा गणपति की स्थापना के लिए सबसे शुभ मानी जाती है। इसे आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता का केंद्र माना जाता है।
पश्चिम दिशा: यदि उत्तर-पूर्व में मूर्ति स्थापित करना संभव न हो, तो आप पश्चिम दिशा का चयन कर सकते हैं।ध्यान रखें कि मूर्ति का मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
2. मूर्ति का प्रकार
बैठी हुई मुद्रा: बैठी हुई गणपति मूर्ति घर के लिए शुभ मानी जाती है। यह घर में स्थिरता और शांति बनाए रखती है।
खड़ी मुद्रा: खड़ी हुई मूर्ति व्यापार स्थल या ऑफिस के लिए शुभ होती है, क्योंकि यह प्रगति का प्रतीक है।
दाईं सूंड वाली मूर्ति: दाईं ओर झुकी सूंड वाली मूर्ति पूजा के लिए उपयुक्त होती है, क्योंकि इसे अधिक ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।
बाईं सूंड वाली मूर्ति: बाईं ओर झुकी सूंड वाली मूर्ति घर में सुख-शांति बनाए रखने के लिए आदर्श है।
3. स्थापना की सतह
मूर्ति को हमेशा एक साफ और ऊंचे स्थान पर स्थापित करें। मूर्ति के नीचे लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं, क्योंकि ये रंग शुभता का प्रतीक होते हैं।मूर्ति के आस-पास गंदगी या अव्यवस्था न रखें।
4. मूर्ति के साथ कलश और पूजा सामग्री
गणपति स्थापना के समय एक तांबे या मिट्टी का कलश रखें और उसमें पानी भरकर आम के पत्ते और नारियल रखें।मूर्ति के पास दीपक, अगरबत्ती और फूलों की व्यवस्था करें।
5. गणपति के आस-पास अन्य मूर्तियां
गणपति के पास भगवान लक्ष्मी और सरस्वती की मूर्तियां रखना शुभ होता है। ध्यान दें कि मूर्ति की स्थापना के स्थान पर कोई अन्य अनावश्यक वस्तु न हो।
6. मूर्ति की ऊंचाई और आकार
मूर्ति का आकार बहुत बड़ा या बहुत छोटा नहीं होना चाहिए। घर के लिए मध्यम आकार की मूर्ति सबसे उपयुक्त होती है।यदि आप मिट्टी की मूर्ति का चयन करते हैं, तो यह पर्यावरण और वास्तु दोनों के लिए शुभ मानी जाती है।
7. मूर्ति स्थापना का समय
गणपति की स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें। यह मुहूर्त पंचांग के अनुसार तय किया जाता है। स्थापना के समय पूरे परिवार को उपस्थित रहना चाहिए।
8. पूजा विधि
मूर्ति की स्थापना के बाद भगवान गणेश की आरती करें और उन्हें मोदक, दूर्वा, और लाल फूल अर्पित करें। गणपति को तुलसी के पत्ते अर्पित न करें, क्योंकि इसे वर्जित माना गया है।
9. दैनिक पूजा और देखभाल
मूर्ति की नियमित रूप से पूजा करें और दीपक जलाएं।
मूर्ति के पास सफाई बनाए रखें और पूजा स्थल को व्यवस्थित रखें।
वास्तु शास्त्र के अनुसार गणपति की मूर्ति की सही स्थापना घर में सुख, शांति और समृद्धि लाने में मदद करती है। यह न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाती है, बल्कि जीवन के सभी कार्यों में सफलता का मार्ग भी प्रशस्त करती है।
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