Guru Nanak Jayanti: एक दीप जलाओ प्रेम व भाईचारे की, यही है गुरू नानक जयंती का बड़ा संदेश, क्‍या है इसका महत्‍व, जानें

Guru Nanak Jayanti: गुरु नानक देव जी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत रहे हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर मनाई जाने वाली गुरु नानक जयंती को प्रकाशपर्व के रूप भी मनाया जाता है।

Guru Nanak Jayanti: सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु गुरू नानक जी के जन्‍म जयंती यानी गुरू नानक जयंती भारत ही दुनिया भर में जहां-जहां भारतीय व सिख हैं उन सबके लिए एक महान दिवस है। गुरू नानक ऐसे साधक, संत, समाज सुधारक थे जिन्‍हेांने हमें सिखाया कि हमारे जीवन में सत्‍य व प्रेम मार्ग पर चलने का महत्‍व क्‍या है। वे भारत के उन महान समाज सुधारकों में से एक थे जो भाइचारे का मूल्‍य और इस राह पर चलने का मूल्‍य बताकर समाज में ज्ञान की अलख जगा दी। ऐसे महान संत को आइए आज नमन करें और उनकी शिक्षा का याद करें।

ज्ञान का दीपक

गुरु नानक देव जी की जयंती प्रकाश पर्व (Prakash Parv) गुरु के साथ गुरु पर्व (Guru Parv) भी कहा जाता है। नानक ने समाज की अज्ञानता दूर करते हुए ज्ञान का दीपक जलाया था। न केवल स्‍वयं इसका प्रकाश फैलाया बल्कि‍ ज्ञान के इस प्रकाश से सबको रोशन होने की प्रेरणा दी। उनका संदेश था कि ईश्वर एक है और हमें सबके साथ प्रेम और भाईचारा रखना चाहिए। धन्य है नानक गुरू और उनकी शिक्षा जो सदैव मनुष्‍य मात्र की राह को रोशन करती रहेगी।

मिटा ज्ञान का अंधकार

कार्तिक दीपपूर्णिमा को देव दिवाली भी मनाया जाता है। देव दीवाली का अपना महत्‍व है। कहा जाता है कि इस दिन बि‍ष्‍णु भगवान की आराधना की जाती है। दीप दान किया जाता है। रात में घर में जगमग ज्‍योति‍ की जाती है। पर दूसरी तरफ इसी दिन उस गुरू को याद किया जाता है और उसके जन्‍म की खुशी मनायी जाती है जिनके ज्ञान के प्रकाश में समाज से अज्ञान का अंधकार मिटा और वह कार्य निरंतर जारी है।

प्रकाश पर्व पर आयोजन

गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर सिख धर्म के लोग सुबह स्नान पांच वाणी का पाठ करते हैं। गुरुद्वारा जाकर मत्था टेकते हैं। गुरुवाणी और कीर्तन सुनते हैं। हमें आपको भी गुरुओं के इतिहास के बारे में जानना चाहिए ताकि इस धर्म की गहराई समझ सकें। अरदास, संगत और गुरुद्वारे में सेवा करने व गुरु के लंगर में जाकर सेवा करने का महत्‍व समझ सकें।

प्रभात फेरियों को जानें

गुरु नानक देव जी की जयंती पर प्रभात फेरी का बहुत महत्व है। गुरु नानक जयंती से कुछ दिन पूर्व प्रभात फेरियां निकालनी शुरू हो जाती है पर गुरु नानक जयंती पर एक विशाल नगर कीर्तन भी निकाला जाता है। इसकी अगुवाई पंज प्यारे करते हैं। श्री गुरु ग्रंथ साहिब को फूलों से सजी पालकी में रखकर पूरे नगर में घुमाया जाता है और अंत में गुरुद्वारे वापस लाया जाता है। इन प्रभात फेरियों में श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते हुए गुरु नानक देव जी के उपदेशों का प्रचार करते हैं।

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जहां जहां से प्रभात फेरी निकलती है वहां राह में जगह-जगह श्रद्धालुओं का स्वागत किया जाता है। प्रभात फेरियों के साथ-साथ घर-घर जाकर भी कीर्तन किया जाता है। लोगों के घरों में कीर्तन करने वालों का स्वागत फूलों और आतिशबाजी से किया जाता है।

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